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कविता

सगा आवत हे

Mahendra Dewanganकांव कांव कौआ ह,
बरेण्डी मे नरियावत हे |
लागथे आज हमर घर
कोनो सगा आवत हे||
बोरिंग ले पानी डोहार के
दुवार ल छींचत हे |
बिहनिया ले दाई ह
खोर ल लीपत हे ||
लकर धकर छुही मे
रंधनी ल ओटियावत हे |
दार चांउर ल निमार डर
बहु संग गोठियावत हे||
चौसेला खवाहूं कहिके
चाउंर ल पीसवावत हे
साग पान ल लान दे कहिके
टूरा ल खिसियावत हे
कांव कांव करके कौआ ह
बरेण्डी मे नरियावत हे
लागथे आज हमर घर
कोनो सगा आवत हे

महेन्द्र देवांगन”माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला-कवर्धा (छ .ग)
मो नं.-9993243141

3 replies on “सगा आवत हे”

कउवा के नरीयई ल अउ सगा के आय पाछु के तइयारी ल अड़बड़ सुग्घर चितरित करे हव संगवारी मजा आगे….आपमन ल बधाई हो…..जय जोहार..जय छत्तीसगढ़ महतारी

कविता आप ल पसंद आइस एकर बर बहुत बहुत धन्यवाद सुनील शर्मा जी |

अड़बड़ सुग्घर लागिस भाई सिरतोन म

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