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कविता

सच बोले के काम सिरिफ सरकारी हे

सच बोले के काम  सिरिफ सरकारी हे 
बाकी सब मुंहदेखी  बात लबारी हे …
ऐसे समे म चुप रहना 
सबसे बढ़े समझदारी हे – 
काबर के महिमा मंड़ित 
सिरिफ निंदाचारी हे 
सरकार अउ बयपारी 
जउन कहत हे वोला 
टी.वी. रेडियो गजट बगरात हे 
मनखे के सुख-दुख म भला 
कोन आंसू बरसात हे 
सच्छात धरम राज उतर के 
कहूं जनता के दुख गोहरही 
वोकर बात के कोनो असर नइ होय 
वो जतके लकठाही वोतके दुरियाही 
रेडियो टी.वी. गजट ल का फायदा 
सरकार समरथ हे वोकर  जवाब के का फायदा  सुराज राज मिले के पहली सिद्ध हे  मजा लेवइया कंउआ कोलिहा गिद्ध हे 
सच बोलना बड़ दुखदाई हे 
वोकर आगू कुआँ पीछू खाई हे 
ईसु-पैगंबर राम-किसन कोनो होय 
मार खातें फेर नई रोय 
गरीब के सच कभू सच नइ होय 
सरकार अमीर हे वोकर एके काम 
कोनो जीए के मरे बढ़ाय दाम 
एकरे सेती ईमान से 
सच बोले के काम सिरिफ सरकारी हे 
बाकी सब मुंहदेखी  बात लबारी हे …
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लक्ष्मण मस्तुरिया