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जीवन परिचय सुरता

सत के अमरित धार बोहवईया : देवदास बंजारे

Devdas Banjareछत्‍तीसगढ़ के पारंपरिक पंथी के बारे म जब-जब बात होही, देवदास बंजारे के नाव ला कभू भुलाए नइ जा सकय। गुरू बाबा घसीदास के अमर संदेसा ला जन-जन मेर पहुचईया अउ पूरा दुनिया म फैइलईया देवदास बंजारे हमर देश के बड़का लोक कलाकार रहिस। हमर प्रदेश के पारंपरिक लोकनृत्‍य अउ गीत पंथी ल देवदास जी ह न केवल सहरी लोक मंच मन म आघू लाइन भलुक ओला सात समुदर पार देस-बिदेस तक म बगरा दीन। पंथी के महमहई बगरईया देवदास जी के जनम एक जनवरी 1947 म धमतरी के जिला के सांकरा गांव म होए रहिस, लइकई म लइका देवदास के नांव राखे गीस जेठू। जेठू के जनम देहे पिताजी श्री बोधराम गेंडरे अउ माता श्रीमती भगबती बाई रहिस, जेठू जादा दिनन ले अपन पिता बोधराम गेंडरे के मया नई पा सकिस। छत्‍तीसगढ़ म छाये हैजा के उड़ेरा म बोधराम गेंडरे के अकाल मृत्‍यु होगे। माता भागबती बाई संकट के सामना करत बालक देवदास के संग दुर्ग जिला के धनोरा गांव आगें। आघू देवदास ला ओखर पालक पिता फूलसिंह बंजारे हा पोसिस अउ अपन नाम दीस।
जेठू ले देवदास होए के किस्‍सा के बारे म डॉ. परदेशीराम वर्मा जी अपन पुस्‍तक ‘आरूग फूल’ म लिखथें कि बचपन म जेठू ला बडे माता आईस, अड़बड़ जतन अउ देबी-देंवता के मनांए पथराए ले जेठू ला नवा जिनगी मिलीस देखर सेती जेठू के नाव देवदास धराए गीस। अउ तब ले देवदास के नाव के सोर छाए लागिस, छुटपन ले देवदास ला छत्‍तीसगढ़ी कला-संस्‍कृति उप्‍पर मोह रहिस। नाचा-लीला देखे के पाछू देवदास उंखर नकल करके नाचत गावत रहय। बाढ़े उपर ले देवदास स्‍कूल जाए लगिस अउ कबड्डी संग दउड के बड़का खिलाड़ी के रूप म जाने लाए लगिस। देवदास कबड्डी के बड़े बड़े प्रतियोगिता म नाम कमाए लागिस। उही समें म खेलत-खेलत ओखर माड़ी के कटोरी म चोट लाग गे अउ देवदास के कबड्डी लेखई म रोक लग गे। देवदास के माड़ी के कटोरी जब बने होइस तब तक देवदास के मन म गुरू बाबा के सत के महिमा गाए के धुन सवार होगे। कबड्डी के जबर खेलइया देवदास पंथी म अइसन रमिस के पंथी के झंडा ला देस बिदेस म फहरा आइन।
भिलाई के तीर म बसे धनोरा गांव ले देवदास के पंथी के सफर म हबीब तनवीर जी अउ भिलाई स्‍पात संयंत्र के बड़का हाथ रहिस। समे रहते भिलाई स्‍पात संयंत्र के ओ समे के एमडी इंद्रजीत सिंह, पृथ्‍वीराज आहूजा अउ संगमेस्‍वरन ह देवदास अउ तीजन बाई के कला ला निखारे म भरपूर सहयोग दीन। मध्‍य प्रदेश सरकार ह घलो हमर प्रदेस के परम्‍परागत संस्‍कृति ला बढ़ाए बर सदा काम करें हावय। कई कई समें म भारत महोत्‍सव म बिदेस भेजे बर पूरा प्रदेश ले पंडवानी अउ पंथी भर ला चुने जाए। बिदेस म होवइया भारत महोत्‍सव मन म देवदास के पंथी दल ला बिसेस रूप ले जावय।
भारत महोत्‍सव अउ युवा उत्‍सव मन म देवदास के पंथी दल ह एडिनबर्ग, कनाड़ा, हेम्‍बर्ग, एमस्‍टरडम, रोम, फ्रांस, आस्‍ट्रेलिया अउ रूस म पंथी के धजा फहरा आइन। देस-बिदेस म देवदास के पंथी ला अड़बड़ सहराए जावय। देवदास के पंथी दल म देवदास के झमाझम पंथी नचई ल देख के देखइया मन चक खा जावंय। पंथी ला लोकप्रिय बनाए खातिर देवदास सरलग मिहनत करत रहंय। अपन दल म नाचत- नाचत करतब देखई, मीनार बनई, मांदर बजई ला तेज ले जेत करे के उदीम देवदास जी ह करत रहंय। देवदास जी ल पंथी खातिर राष्‍ट्रपति के गोल्‍ड मेडल सहित देस-बिदेस म बहुत अकन पुरस्‍कार अउ सम्‍मान मिले सहिसे। छत्‍तीसगढ़ के पंथी बर जीवन भर काम करईया देवदास के 26 अगस्‍त 2005 के दिन एक ठन दुरघटना म अकाल मौत होगे।

संजीव तिवारी