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समीच्‍छा

सरग निसैनी म चघ लइका हांसत हे, बादर ले चंदा झांकत हे

पुस्तक समीक्छा

सरग निसैनी

(लइका गीत)

डॉ. पीसी लाल यादव

प्रकाशक- दूधमोंगरा, गण्डई, जिला राजनांदगांव

मूल्य-10 रुपए

‘सरग निसैनी’ म लइका गीत के पंक्ति हावय। एक-एक गीत ऊपर गोड़ मड़ावत लइका बुध्दिमानी के सरग तक पहुंच जही। निसैनी के हर पंक्ति लइका के पसंद के हावय। अमली गीत लइका के दिल के गीत आय। झोफ्फा-झोफ्फा अमली ल देख के लइका के हाथ म गोटा आ जथे। लइका त लइका, कोकवा अमली ल देखके सियान के मुंह पंछा जथे। ‘पानी बरसे’ गीत म रूख-राई झूमत हावय, मेचका, टेटका, चिरई, चिरगुन विधुन होके नाचत हावय, इंखर संग लइका ह तो इतराबे करही। गीत के भाव, वाक्य रचना बड़ सुग्घर हावय-
किच-किच नरियाय मुसुवा
धान फोल इतराय मुसुवा,
मुनु बिलई के आरो पाके
बिला खुसर लुकाय मुसुवा।
पानी बादर म मेचका नरियात हावय, मंजूर नाचत हावय। रूख महिमा बतावत-बतावत प्रकृति के सुन्दरई के पंक्ति घलो बड़ सुग्घर हे। कोयली के मीठ बोली, जेखर बोली के नकल करत लइका पीछू-पीछू भागथे। भौंरा, चिंवड़ा (गिलहरी) के नटखटपन, लइका ल अऊ चंचल बना देथे। कुकरा बासे लगेगे, बिहान होगे। रंग-रंग के फूल खिले हे। रात कन चंदा के दरपन बने तरिया, के तीर म गांव हावय। गांव के मेला के गीत, फागुन देवारी के गीत के संग, आमा, चिरई, बेंदरा के गीत घलो हावय। लइका के मन जेखर डाहर भागथे तेने ल सुग्घर चित्र संग अपन नान्हे पुस्तक म देय हांवय। ये नान्हे पुस्तक के लइका गीत ह लइका के मन ल जरूर छूही, इही सरग निसैनी ले लइका ह बादर के पार जाही चंदा म थिराके एक अउ धरती ल खोज के अपन संगवारी बनाही।
ये पुस्तक के नाम के पाछू एक गूढ़ अरथ लुकाय हावय। नरेश निषाद के चित्रकारी बड़ सुग्घर हावय। लइकामन ओला देख के चहके ले लगही। सरल सब्द के परयोग करत, सरल वाक्य रचना लइका के मुठा म बंधा जही, जब चाहे तब लइका ह ओला मुंह म डार के पचो सकत हावय।घरघुंदिया टूट गे, दादू नानू ह खोर के जमा पानी म कागज के डोंगा चलावत हावंय। परकिरती काय काहत हावय-
बादर ले चंदा झांकत हे,
चंदैनी मन ह हांसत हे।
जुरमिल के राहव सबो
हांस-हांस समझावत हे।
आज इसकूल म छत्तीसगढ़ी बिसय पढ़ाना हे कहिके पाठयक्रम बनावत हावंय। ये गीत चार ले आठ साल तक के लइका मन ल पढ़ाए के लइक हावय। पीसीलाल अपन लइका गीत सरग निसैनी ले गंज दूरिहा तक चघगे हांवय। लइका मन सकेल के येला बताए के जरूरत हावय। सुग्घर गीत रचना बर पीसीलाल ल बधई।
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