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व्यंग्य

सरग म गदर

बिसनू लछमी के सादी के सालगिरह रहय।उन दोनो सरग म बइठे बिचार मगन रहिस हे। बिग्यान के परगति कहव के, सुस्त मस्त अउ पस्त खुपिया बिभाग के चमाचम कारसैली के कमाल कहव, के कुकुर मन संग बिस्कुट खावत खावत संगत के असर कहव चाहे तुहर मन करय ते इतफाक से कहव बिसनू लछमी के दिमाक के बात ल पिरथीवासी मन पिहिलीच ले सुंघिया डरिन। सब लोक ले एकक झिन प्रतिनिधि पहुचगे।मिरितलोक म खलक उजरगे।एक करोड़ मनखे पेल दिन बेसरम फूल धरे धरे। जेमा सब के सब भारत के राहय। भारत हॅं सबे जिनिस म आगू हे। फोकट के पाय त मरत ले खाय म काबर पाछू रहय। अइसे भी इहॉ जिहॉ तिहॉं जगहा जगहा भूखमर्री छाये हे।एक करोड़ मनखे म चौरासी लाख मनखे तो चौरासी लाख जोनिच के परतिनिधि होगे।बाकी बाचे खुचे मनखे म कोनो सत्ता पक्छ के , कोनो बिपक्छ के , कोनो चोर संघ त कोनो ढोर संघ , गॅंवार दल त हुसियार दल ,ठेकादार संघ त दलाल संघ कोनो बयपारी परकोस्ट त कोनो बयभिचारी परकोस्ट आदि आदि के भांति भांति झंडाधारी परतिनिधि मनखे। धरमसाला के कमी परे लगिस। सरग के सुपरभाव से गरसित होके पिरथीबासी बंद-मंदबुध्दि मनखे उहॉं सुछंद लंद-फंद करे लगीन। तीन पॉच करइया दू नंबरी मनके नंबर हॅं सरग जाए के बाद बाढ़ के चार सौ बीस होगे। बिन जनाधार वाले टुटपुंजिया परतिनिधि मन भविस ल देखत सरग के बने बने जगहा म बेजा कब्जा करे लगीन। सरग म खलबली मातगे। सरगवासी मन पलायन करके मिरीतलोक भागे लगीन। पूरा सरग के बेवस्था खदर-बदर होगे। हद तो तब होगे जब एक झिन बाबा जी बिसनू ल कहे लगिस-थोरिक बईठे बर जगहा चाही। डट्टा-पोट्टा अउ अलकरहा जगहा म घलो सामंजस बनाके उठना-बइठना भलमनसाहत के पहिचान हे। लछमी मुसकिया दिस- अतिथि देवो भवः। भगवान तो भगवान ठहरिस- गद्दी के एक कोनटा म बाबा ल बईठार लिस। मौका देख के चौका का छक्का मारे बर पिरथीवासी गजब चोखू। भारत हॅ तो अव्वलेच हे तेला सबो जानत हे। बाबा हॅ बिसनू के कान म फुसफुसावत कहिस-मोला अपन दिव्य दिरीस्टी म तोर पालटी के भविस ह इसपस्ट दिखत हे भगवन। लछमी के जिगयासा बाडगे। पूछिस-का होही महाराज बताए के किरपा करहॅू। बाबा थोरिक कॉंख-खखार के अपन घेरघेरावत टोटा ल फरियाइस अउ बिसनू ल चिटिक ढकेल के अपन हॅं लमा -फरिया -पसर -जम के बइठगे। बिसनू लछमी एक दूसर ल देखके मंद मंद मुसकाइन-अरे ! बाबा हॅ तो हमन ला भोरहा म रखके अभीन ले हमर आधा गद्दी ल पोगरा डारिस। बाबा जी के ए चाल हॅ बिपक्छी परतिनिधि ल फूटे ऑखी नइ सुहाइस। भले अपनो हॅं चुनाव के बेरा जीते बर उहीच बाबा के कई घॉंव पॉंव पखार पखार के पीए रहिस हे। जग भोग करवाए रहिस हे। फेर उही बात के काना ल भावॅंव नही काना बिना राहॅंव नही। तुरत इरखा के तरकस ले निकाल के बयान -बान चलाइस। बाबा ल आड़ा खड़ा तिरछा जम्मो किसिम से हाथ म ले लिस। निंदा परस्ताव ला दिन । सगा बनके आए बर अउ खटिया ल पोगराए बर। जिंहा सुवारथ दिखथे जम्मो मनखे अपने अपन बतर कीरा कस जुरिया झपा जाथे। एह हॅ पिरथीलोकी परानी के जनमजात सुभाव ए। बाबा के दाढ़ी म छापा परगे। जॉच कमिटी बइठगे। दाढ़ी नकली निकलिस। पुदगा गे। बाबा के परमान पत्तर फरजी पाए गिस। ओकर पिरथी से सरग जाए के टिकस म घलो फरजीबाड़ा होय रहय। पता चलिस बाबा के नकली दाढ़ी हॅं बिपक्छी अधक्छ जेन हॅं अभी नाक ल उच करके बिरोध करत हे, ओकरे भॅंइस कोठा म ओकरे भूरी भॅंइस के पूछी से बनाए गे हे। सत्ता पाल्टी के अधक्छ हॅ बनाए के सिफारिस करे रहिस हे। मीडिया वाले मन ल बहाना मिलगे। उन घेरी भेरी बाबा के फोटू ल देखावय अउ कॉख कॉखके चिचियावय-अब आगू देखव नकली दाढ़ी कहॉ ले आइस। अब आगू देखव नकली दाढ़ी कहॉ ले आइस। भइगे बाबा के फोटू ल देखा देखाके अइसने काहय भर। दाढ़ी ल नइ देखावय। ओतके म बिगयापन आ जय। सबके जी कउवा -खखुवा गय। बाबा ल धकिया – मुकियाके गददी ले उतार दिन। एला देख मानव अधिकार वाले सनियावत – तनियावत खड़ा होगे-एह गलत बात ए। सब ल बइठे बोले खाए पीए जीए अउ रहे बसे के बरोबर अधिकार हे। एह अन्याव हे। हम सुपरीम कोरट तक जाबोन। कॉंव कॉव खॉव खॉव करत सब मनखे एक दूसर उपर कूद परिन अउ रॉय रॉय भॉय भॉय दमादम गदागद बदाबद ठोंका-पीटी चालू होगे।देखके लछमी अकबकागे -अइ यहा काए दई ! बिसनू खलखलाके हॉस भरिस-महाभारत पिच्चर तो आय रे जकली। मजा ले।मजा ले। बात ल बिगड़त देखके तुरतंे कमिटी ल भरे बॉधा कस पार भॅंगलाके फोर दिए गिस। सबो बात बोहागे। नराएन नराएन काहत नारद हॅ माइक ल संभालिस-बिसनू लछमी के सादी के सालगिरहा म पाल्टी -साल्टी होना हे। कोन किसिम ले खवाय जाए अपन अपन बिचार -मत देहॅू। एक झिन रेगड़ा खड़ा होगे-पंगत परना चाही। जेमा खाए से लेके पीए तक के हर जिनिस रहय। जेला खाए पीए से मनखे जात हॅ जनमो जनम तक हिस्ट पुस्ट बने राहय। रेगड़ा बिचारा के बिचार ल सुनके एक झिन पेटला -मोटला मनखे हॅ खिसियावत रकमकाके उठिस अउ हॅफरत कहिस-हमर सहीन मनखे ल बइठके खात नइ बनय। अउ कहॅू कइसनो करके खाइ लेबो त उठे म तकलीफ होथे। तेखर ले बने बम्फर सिट्टम होना चाही। ओकर ले परोसे – बॉंटे के घलो झंझट नइ राहय। अन जादा खइता नइ होवय एक बात अउ दूसर बात रपोट-झटक के चॉंटे -चटकारे के मजा अलगे होथे। चोरहा अउ ढोरहा परतिनिधि मन रेटहा अउ मोटहा के गोठ ल गिजगिजावत दॉत निपोरत सुनत-गुनत मन के लाड़ू खावत रहय-खाना चाहे पंगत के राहय चाहे बफरहा , उन तो खाए -डकारे टकराहा। उन मन पहिलीच ले अपन सकउ- उठउ झिल्ली के बेवस्था करके दिल्ली ले पहुॅचे राहय। रसगुल्ला के घर लेगे बर आगूच ले दूदी ठिन पानी के डिसपोजल ल थैली म गोंज ले राहय। अब चिटिक बिरेक के बाद पंगत अउ बफर के नाम म फेर महाभारत चालू होगे। हार खाके बिसनू घोसना करदिस -भइगे! एसो के सालगिरहा ल नइ मनावन। एला ए गिरहामन के चींव चॉंव के सेती अवइया समे तक इसथगित करे जावत हे। अतका म सबो मनखे एकजुट होगे। जुटहा मनके एक जगहा सकेलाना ल एकजुटता कहे जाथे। खाए के नाम म सबो के सबो सरग म हड़ताल म बइठगे। एती लछमी घला रिसाके मुहॅ ल फूलोए कोपभवन रेंगे लगिस। जग म सबले बड़े तिरिया हठ। बिसनू ल मन मारके माने बर परिस। एवमस्तु कहिदिस। जतेक भूखमर्रा रहय सब खुस। अब मनखेमन फेर तीन पॉच करे लगीन। ए दफे बिसनू ल भूलियार चुचकारके उहॉ के सबो सिसटम ल ठेकादारी सिसटम करालिन। अपने मन कोनो पंडाल के , कोनो रासन के , कोनो खाना बनाए के ठेका ले डरिन अउ बॉचे खुचे कमजोरहा मन सफई के ठेका ले लिन। ठेका के बहाना सबो मिलके सरग के जम्मो धन दोगानी ल बेंदरा बॅंटान मिल बॉटके डोहार डरिन। न उहॉ पंगत परिस न बफर। अइसे होथे पिरथीवासीमन । इन तो इहॉ भगवानो ल बॉट डारे हवय। सरग के धन दोगानी का बाचही। धरती खोदावत -बॅटावत हे पानी बेचावत हे। कुछू दिन म हवा घला बॅंधा जाही। एमा बोकबाय मुॅह फारे-चकराय के कोनो बात नइ हे। लोकलाज ल तियाग के बॉट बिराज के खाना पोगराना ल तो लोकराज कहे गे हे। अउ लोकेराज ह रामराज हरे कहिथे।

धर्मेन्द्र निर्मल