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कहानी

सलंग गे देवारी

”लइका के पीरा कतेक अऊ कइसे होथे बनवाली ले जादा बहुत कमेच्च जानथे। दूसर बिहाव के चरमुड़िया राग बनवालीच करा तीन साल ले अटके रिहिस लइका आय के होही ते आबे करही। पांच बरस पाछू अपन दाई ल 26 घंटा पीरा खवाके पहलात गुड्डुराजा आईस। रात भर पाछू खांसी म टेटका होगे, कतकोन बेर खांसत सांस छुटे कस हो जाय।”
बीते देवारी मं हितेश अपन हात ला फटाका मं जरो डारे रिहिस अऊ दीपेश के गाल, सितेश के माथा मं दाग पर गेय रिहिस। फेर ओमन ला तो अपन तमंचा-टिकली फटाका अऊ मसाला रगड़ के अलहन करे मं घातेच मजा आथे घाव गोदर के थोरको संसो नई राहय। कोन कतक उदबिरिस कर सकथे? तेकर भितरौंधी सरियत राहय बिजलवा मन के। मजा लेवत, सजा पावंय अऊ कभू-कभू मजा लेय बर बोनो दूसर बिचरंगा ला सजा दे डारें।
सुरता के तरिया मं तौंरत, पुरईन डेंटरा मं छोलाय कस मन के पीरा ला थबकत राहय बनवाली। तिहारे बार तो होथे लोग लइका मन ला रूपिया-आठ आना पोगरी पाय के। मन मुक्तियारी कुछू बिसाय के। आज घला धन तेरस हे अऊ वोहर मुहचलका मितान के मया काहस ते सोहबत मं, पर बुधिया कस भोपाल मं सुररत हावय। मंझाती के सात बजे धरत हे, साढे अाठ बजे के रेल मं बइठही त परन दिन 11-12 बजे हबर ही घर। ले का होइस लछमी पूजा मं संघर जाही-खिचरी भात के बेरा सबे सन ठोली-ठिठोली कर लीही। करमचारी नेता बने के इही तो पेरना कबे के पुछन्ता ये अफसर मंतरी करा रोक भई ठोक गोठियाय के। दू ठन सुन के, चार ठन गोठियाय के।
खंधेला झोला झुलात बनवाली, अल्लरहा बानी रेंगत राहय सुरता के लाहरा परथे एक झक गराम सेउक के घुसखोरी अऊ काम-चोरी विरोधी बिचार, हिन्ता गोठ हर बडे साहब ला पिचघोल डारिस। ओला मेटगिरी मं लगा के तनखा रोक दीस। बताय गीस नदारत हे सर कहां जाबे? कोन सुनही? तरी ऊपर ले हिस्सा बंटाय हे।
वो गराम सेउक बिचरंगा थोरिक तोतरावय फेर वाह रे बानी वाला, हरे खंगे मं जौन हो सकय, गरीब-गुजारा के मदद जरूर करय। अनीत अनियांव मं पेरावत मन्से बर तो जी देवा राहय।
अइसने उदाबादी मं दूबेर जहेल गेय रिहिसे। पहिली घांव बेजा कब्जा दुरूस्ती करइया पटवारी ला घर खुसरके ओकर डैकी समेत कोंघरत ले दुहन डारिस। टेम्पाच टेम्पा पुलुस आईस, त ऊकरो डेना पखुरा झटकार दीस अऊ खुदे थाना चल दीस एक सौ इनकावन धारा बनिस, ताहन थाना घेराव करवा दीस। पांच घंटा के भीतर छोड़े गीस अऊ पटवारी ऊपर मामला चलिस। दूसर मामला मं गांव सुराजी दउहा धनी, डिपटी मं लचारी अऊ मनमानी बता के तीन झक गुरूजी के तनखा रोके गीस अऊ दूझन ला निलंबित करे गीस। चौबीस घंटा बीतीस ताहन जिला भरके कमिया गोहड़ी मन बुता छाड़ के कलेक्टर दफ्तर के पैइल हे मं दिन भर गाना-बजना करे धरलीन
”घूसखोरी ठेंका फोरव, बनवाली दऊला छोड़व।
नीत के रद्दा जोरव, बनवाली दऊला छोड़व”
खतम नीत-नियाव हो अब तो जाये जनम बेकार हो।
जमे सरकारी अऊ दूसर दफ्तर, मील, कारखाना मं माछी भनभनागे चउथा दिन ले सरकार के बावन बिभाग मं तारा ठोंके के हांका परगे जज, अऊ कलेक्टर के टोंटा सुखागे। चलवंता नेता मन ला मुहुं लुकाय बर जगा नई मिलिस। पीरा खाय गुरूजी मन करा जाके लुलुवईन, तेल लगईन अऊ अपन सिकईत ला लहुटईन। सब कोत आरो होगे, अल गोजवा कस दिखइया बनवाली सन झन झपाव, बिखहर कांटा ये। भल बर भल अऊ अनभल बर भीमसनी मुदगल ये। बनवाली ला बाइात बरी करे गीस अऊ सिच्छा सहेब बर जांच बइठारे गीस। छै महीना निलंबित करके दूसर जगा भेजे गीस।
अभी उही गराम सेवक के बिपत उसेले बर ओहा कृषि मंतरी मेर भोपाल आय हवै। मंतरी जी बाहिर दौरा मं रेहे के खातिर दू दिन ले अगोरा करना परगे। अभिच्चे बुता सिरा के उत्ता धुर्रा लहुटत हे। नेतघात बने रतिस, ते आज बिहनियां ले घरे मं रहितिस। लोग लइका मन बर नई सुरतिस। लकर्री छाय हे अऊ अपने नोनी-बाबू कोत चेत लामे हे। नीते सोजहा गोसइयां जान के घनमोतिन, चैती, अगसिया, मंगतिन मन का-का अइंठी मुर्री, लहर बुंदिया चाल देखईन जीभेच मं खेलत राहय। तातारसी होवत
रेलवाही रद्दा पूछके रेंग दीस
लक्ष्मी पूजा के लगन झन बांहके, नावा सवांगा, सोन-चांदी, तांबा के बरतन, गाहना टपाटप लेवत राहंय। सदन चऊंक मेर जावत राहय, आवत राहंय, आा-बाजू नजर फेरई घला मुसकुल होत राहय।
तइसने मं अदमरा देहें के डोकरी-डोकरा मइलाहा चिरहा तूने टपरे ओनहा, अंधरी डोकरी, काड़ी मं डब्बा पीटत रहय। कोढ़ी मं हांत पांव के गले सरे, पिचपिचाय अंगरी मन ला फरिया बांधे, नरिहर खोलटी मं गोटी भरे, काड़ी बेधे वाला घुनघुना बजात राहय डोकरा। बनवाली, सोचिस, मनई लेथौं देवारी। जय पाटमेसरी दई, सीतला दई, लछमी दई, छाहित राह। गुनत-धुनत ऊंकर आघू मं ठाड़ होइस- ‘ठक ले अठन्नी डब्बा मं गिराईस। डोकरा आंखी मं असीद दीस, अरे भुक्काच हे काते अबोला… कोंदा मन तो ऐ ओ ऊं करथेंच। कल्हर गे बनवाली, अन्तस खदमदा गे आज ये मन ला, पेट भर अलवा-जलवा काबर नई खवाय जाय।’
अंगरी अऊ मुहुं ले गोठ बात चलईस ओमन बतइन के केरला राज ले आय हन। गतान पूरा मं घर-दुवार, अऊ बेटा बोहागे, अढ़ई साल के। रोहो पो हों, मर-मर के जियंई मं दू साल के नोनी सरलगे। कोरा मं चार महीना के नोनी पिला ला पोटारे रो-रो के सुवारी अंधरी होगे। डोकरा ला कोढ़ी घेर लिस। अब भगवान भरोसा जियत खात हें। कोरा के नोनी? निमोनिया के भेंट होगे।
लइका के पीरा कतेक अऊ कइसे होथे बनवाली ले जादा बहुत कमेच्च जानथे। दूसर बिहाव के चरमुड़िया राग बनवालीच करा तीन साल ले अटके रिहिस लइका आय के होही ते आबे करही। पांच बरस पाछू अपन दाई ल 26 घंटा पीरा खवाके पहलात गुड्डुराजा आईस। रात भर पाछू खांसी म टेटका होगे, कतकोन बेर खांसत सांस छुटे कस हो जाय।
बैद ह किहिस ये औरत हर महतारी कइसे हो सकथे। लइका ला बचाय के अनहोच नइंए वोला लइकोरी कइसे मानबो। बारा साल के दवा पानी के भरोसा कनिहा के हाड़ा मं गठान परके टीबी ले बांचे हे। नान्हेंपन मं गरमी धरीस सांझ के ढंलवा छत मं फूक खेलत गिरे गुराय मं बांच गेय राहय। ताहन टट्टी क्रिमी ले बचाय बर माटी तेल पियात ऊपर संस्सी हो गेय रिहिसे पहलांत गुड्डु हर। दंगर-दंगर रेलवाही कोत सरेरिस ठेसन मं पता चलिस। वो रइपुर जवइया गाड़ी हर पांच घंटा बिलम के आही बनवाली, लद ले फसकरागे। सलंग गे देवारी। धुकधुकी हर फटाका कस फूटे धर लिस। सांस मं ओकर कुहरा गोंजात राहय। बनवाली रोबत रिहिस ते हांसत रिहिस गम नई पात रिहिस।
किसान दीवान
पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास बागबाहरा
जिला-महासमुंद