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गीत

सावन सरल सारदा मैया : जगन्नाथ प्रसाद भानु





आप बिलासपुर के निवासी रहेव। आप मध्यप्रदेश शासन म उच्च अधिकारी रहेव। आपला मातृभाषा हिन्दी उपर बडा़ अनुराग रहिस। इंखर अधिकांश समय साहित्य-सेवा म बीतय। काव्य उपर इंखर अड़बड़ प्रेम रहिस अउ आप काव्य शास्त्र के बड़े ज्ञाता घलव रहेव। ‘छन्द प्रभाकर’ अउ ‘काव्य प्रभाकर’ इंखर काव्यशास्त्र संबंधी प्रसिद्ध ग्रंथ आए। उर्दू म इंमन ‘फैंज’ उपनाम ले कविता घलव लिखें हें। छत्तीसगढी़ म इंमन माता जस/सेवा गीत लिखें हें जउन ह ‘श्री मातेश्वरी सेवा के गुटका’ नाम के संग्रह म उपलब्ध हे। इंखर माता जस/सेवा गीत के उदाहरण प्रस्तुत हे-




सावन सरल सारदा मैया,
हरियर वन चहुं ओर।
राखी भोजली, पहिर महामाय,
झूले सुघर हिडोर।
काकर हवै मैया लाल परेवना।
काकर हवै दुइ हंसा।
एक बन नहके, दुसर बन नहके
तीजे बन कोठा, आलियावै होमाय।
फूल के ककनी फूलन बनवरिया।
फूलन के बहुंटा बिराजे।
चन्दन पिढ़ुलिया बैठक देके
आपन दुख सुनातेवं।
आदर सहित जेवांई मातु को,
सुन्दर पान खवातेव।
कहंवा उतारों डाढी़ डोलवा,
कहवां उत्तारों चंडोल।
अंगना उतारों डाढी़ डोलवा
परछी उतारों चंडोल।

(परिचय डॉ.दयाशंकर शुक्‍ल : छत्‍तीसगढ़ी लोकसाहित्‍य का अध्‍ययन का छत्‍तीसगढ़ी भावानुवाद)