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गोठ बात

सियान मन के सीख- चुप बरोबर सुख नहीं

Rashmi Guptaसियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चुप बरोबर सुख नही रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। आज के जमाना म मनखे मन बोले बर अतका ललाइत रहिथे के उनला पते नइ चलय के उमन बोलत-बोलत का बोल डारिन। जउन ला देखौ तउन गरजे बर तियार रहिथे काबर के उनला ए लगथे के मय बोल-बोल के सारी दुनिया ला जीत लेहूॅ। मोरे चलती रही अउ मोर आगू म फेर कोनो के बोले के हिम्मत नइ होही। आज के मनखे मन अतका अकन भरम पाल के बइठे रहिथें। संगवारी हो हमन दिन भर म जतका गोठियाथन ओखर एक चौथाई गोठ-बात भर हा काम के रहिथे बाॅकी तीन-चौथाई गोठ-बात के कुछू महत्तम नइ राहय। कहे गै हावय-
कांसा तो बोले नहीं, पीतल करै झंकार।
ग्यानी तो बोले नहीं, बकबक करै गंवार।।
संगवारी हो ए दुनिया मा बोली-बात के असर दू गुना अउ कर के देखाय के असर दस गुना होथे। एखरे सेती जउन मनखे मन बुद्धिमान होथे उमन ए दुनिया ला बोल के बताय के जघा बने काम ला कर के देखाथे। चुप रहे के हमर जिनगी मा अडबड महत्तम हावय। संगवारी हो जब हमन हर चुप रहिके अउ मन लगाके अपन काम ला करथन तब वो काम हर सोला आना सहीं होथे अउ जब हमन हर बोल-बोल के कोनो काम ला करथन तब हमर आधा धियान अउ ताकत हर बोले म लग जाथे जेखर से हमर काम ला जतका अच्छा होना चाही ओतका अच्छा नइ हो पावय। संगवारी हो चुप रहे ले मूरख हर घलाव बुद्धिमान कहा जाथे फेर जादा बोले ले बुद्धिमान मनखे मन घलाव मूरख कहा जाथे। संगवारी हो तइहा के मनखे मन ए बात ला जानत राहय के का बात ला बोलना हावय अउ का बात ला नइ बोलना हावय। काखर से बोलना हवय अउ काखर से नइ बोलना हावय। कब बोलना हावय अउ कब नइ बोलना हावय। कइसे बोलना हावय अउ कइसे नइ बोलना हावय। हमर बात के काखर उपर असर होही अउ काखर उपर असर नइ होवय यहु बात ला उमन जानत राहय। तभे तो हाना हावय-
का मुरख सन करे बात, हेरै पनही मारय लात।
संगवारी हो हमन हर लइका मन ला आगू-आगू ले चेतावत रहिथन बेटा अइसे झन करबे वइसे झन करबे फेर लइकन मन नइ मानय अउ करथे वही जउन उंखर समझ म आथे। अइसन ए पाय के होथे काबर के हमन हर समय के अगोरा नइ करे सकन अउ समय आए के पहिलिच उपदेस देबर लग जाथन अउ हमन लइकन मन के पाछू पर जाथन के बेटा तय मोर बात ला सुन चाहेे बेटा के, सुने के मन राहय चाहे मत राहय। एखरे सेती ओ बेटा हर हमर बात ला एक कान ले सुनथे अउ दूसर कान ले निकाल देथे। संगवारी हो हमन ला अपन बात ला काखरो से कहे से पहिली अड़बड़ सोच.विचार कर लेना चाही अउ समय के अगोरा घलाव कर लेना चाही फेर देस, काल अउ परिस्थिति के अनुसार ओ बात ला कहना चाही जेखर से हमर बात ला सामने वाला हर सुनय घलाव, गुनय घलाव अउ मानय घलाव। जेखर से हमर बात हा कटय झन अउ हमर बात के इज्जत घलाव बने राहय।
जादा बोले मा हमर बनत काम हर घलाव बिगड जथे अउ चुप रहे मा कभु-कभु बिगड़त काम हर घलाव बन जाथे एखरे सेती तो तइहा के सियान मन कहय- बेटा! चुप बरोबर सुख नही रे। तभे तो सियान मन के सीख ला गठिया के धरे म ही भलाई हवय। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हवय।

रश्मि रामेश्वर गुप्ता
बिलासपुर

आत्म-परिचय

नाम – श्रीमती रश्मि गुप्ता
पति – श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता
जन्म तिथि – 01.07.1973
व्यवसाय – व्याख्याता(पं) वर्तमान में शा.हाई स्कूल लिगियाडीह, जिला -बिलासपुर (छ.ग.) में कार्यरत
योग्यता- बी.एस.सी.(बायो.) पं.रविशंकर शुक्ल वि.वि. रायपुर(म.प्र.) सन् 1994, बी.एड. बरकत उल्लाह वि.वि. भोपाल सन् 1996, एम.ए. (राजनीति विज्ञान) गुरू घासीदास वि.वि. बिलासपुर (छ.ग.) सन् 2003 द्वारा
प्रकाशित कृति- “आत्मदर्शन”
लेखन की भाषा – हिन्दी एवँ छत्तीसगढी
लेखन की शुरूवात – सन् 1994
प्रकाशित प्रथम कविता – “एक पल”
प्रथम लेख – “शिक्षा का महत्व” (सामाजिक पत्रिका “मंगल माधुरी” में सन् 1994 मे प्रकाशित)
सदस्य- बिलासा कला मंच बिलासपुर के सक्रिय सदस्य
समाचार पत्रों मे प्रकाशन-
• सागर म.प्र.से प्रकाशित साप्ताहिक अखबार “सागर दिनकर “मे दिनांक 16/4/2012 से लगातार हिन्दी की 31 कविताएँ प्रकाशित।
• छत्तीसगढ के दैनिक अखबार “दैनिक भास्कर” में दिनांक 5/12/2012 से छत्तीसगढी 15 कविताएँ प्रकाशित एवं दिनांक 14/8/2013 से लेकर आज तक छत्तीसगढी रचना “सियान मन के सीख” का लगातार प्रकाशन।
आकाशवाणी से प्रसारण-
आकाशवाणी बिलासपुर – से हिन्दी की कविताओं का कार्यक्रम “युवाजगत” मे प्रसारण
साहित्यिक क्षेत्र में प्राप्त सम्मान-
• छ.ग. रत्न सम्मान-2015
• न्यू ऋतंभरा साहित्यिक मंच कुम्हारी, जिला-दुर्ग (छ.ग.) द्वारा-न्यू ऋतंभरा विश्व शान्ति अलंकरण 2009
• महिमा प्रकाशन दुर्ग (छ.ग.) द्वारा-
• महिमा साहित्यभूशण सम्मान 2009
• महिमा साहित्यमणी सम्मान 2010
• मन की आवाज साहित्य सम्मान 2012
• प्रेरणा बहुआयामी संस्था दुर्ग (छ.ग.) द्वारा-
• प्रेरणा साहित्य रत्न सम्मान 2010 आदि।
पत्र व्यवहार का पता- ओंकार होम्स,क्वा. नं.-15 राजकिशोर नगर, बिलासपुर (छ.ग.) 495001
फोन नं.-9755252605
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