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गोठ बात

हमर खान-पान मा नून-मिरचा

मिरचा कहिबे ताहन सुनईया अउ कहईया दूनो के मुहु चुरपुराय अउ आँखी झरझराय सरीख लागथे, फेर उही मिरचा ला हमर खान-पान ले अलगाय के सोचेच भर ले हमर मुहु के सुवाद सबर दिन बर सिराये सरीख घलो लागथे। नून अउ मिरचा बिन काहिंच नइ सुहावय। ये दूनो ला हमन कब ले बउरत हन तेखर परमान घलो जल्दी नइ मिल सकय। फेर बेरा बदले के संग जम्मों जिनिस असन यहू मन ला बउरे के तरीका मा फरक आय हे।
अइसे तो पहिलीच ले मिरचा कई किसम के रीहिस। फेर अब शंकरण विधी ले मिरचा के नवा-नवा किसम उपजाये जावत हे, वइसने नून बनाय बर कतको कंपनी आघू आय हे, जेमन चिक्कन, गड़ा अपन-अपन हिसाब ले नून बनावत हे। फेर कोई काहीं करले नून अउ मिरचा के असली गुन तो उहीच रही, नून खारा अउ मिरचा चुरपुर। हरियर देशी मिरचा खान-पान के सबो चीज मा सबले ज्यादा बउरे जाथे। फोंगला मिरचा ला मिरचा भजिया अउ अम्मट मा फिजो के सुखो के तेल मा तल के खाय मा बउरे जावत हे। लाल मिरचा के भूरका ला बर-बिहाव माँदी मा घलो परोसे जाथे। धान मिरचा, गोंटी मिरचा (काली मिर्च), मन हा मसाला अउ औषधि बर घलो बउरे जाथे। अइसने नून मा करिया नून, सेंधा नून मन ला औषधि बर बउरे जाथे, अउ गड़ा नून ला गाय गरु के पानी मा घोर के पियाये जाथे।




नून मा आयोडिन अउ सोडियम रथे जेहा हमर सरीर मा बरोबर रहना जरूरी हे, अउ हिरदे रोग वाला मन बर तो नून ना कम ना ज्यादा बरोबर होना घात जरूरीच हे। नून मिरचा ला मनखे मन नजर उतारना, फूंक-झाड़ असन बूता बर घलो बउरथे, लइका रोवत रथे ता मिरचा ला आगी मा डार देथे, नइते नून ला हाथ मा धर के सात घँव नजर उतार के नून ला पानी मा डार देथे, ये टोटका कतका काम करथे तेला उही मन जाने, फेर नून मिरचा ला जेहा बिन गुने ताने अड़बड़ अकन खा पारही तेखर भूत तो तुरते उतर जही। अइसे तो वैज्ञानिक मन मिरचा के झरझराहट बर कथे कि ये सिरिफ हमर इंदरी मन के भोरहा आय, फेर बात चाहे जौन हो, हमन ला जइसे लागथे व इसनेच तो समझबो।




आजकल के मनखे मन शिमला मिरचा के अंग्रेजी नाव ला धरके चिल्ली कहिके पनीर अउ कुकरा संग मिंझार के पनीर चिल्ली अउ चिकन चिल्ली बना के बउरत हे, मिरचा के साग घलो रांधे जाथे, अउ अचार घलो डारे जाथे। होटल बासा मा मिरचा कई किसम ले परोसे जाथे, हरियर मिरचा नून संग सोजहे, नइते तेल में तल के नून छित के, नून अउ लिमंऊ डार के परोसे जाथे। लाल मिरचा ला घलो सोजहे, नइते पीस के, तल के नून छित के परोसे जाथे। आजकल होटल बासा अउ ठेला में आलूगुंडा, भजिया, आलू भजिया बेचईया मन हा लाल मिरचा ला सोजहे पीस के चटनी देवत हे, अउ खवईया मन ला घलो ये चटनी बड़ सुहावत हे।
अइसे तो मिरचा मा विटामिन सी अउ विटामिन बी-6 के भरमार रथे, अउ येला हमर पुरातन संस्कृति ले औषधि जान के खान-पान मा संघेरे गे हवय। फेर अब नून-मिरचा के ज्यादा बउरे मा कई किसम के बिमारी घलो होवत हे, ते पाय के तो डॉक्टर बैध मन हा तेल नून मिरचा ले परहेज करे के सलाह देवत हे। हरियर मिरचा ले ज्यादा परहेज नइ हे फेर लाल मिरचा पाउडर अउ नून ला थोरको ज्यादा बउरे ले बड़े-बड़े बिमारी सचरे के डर रइथे। अइसे तो कोनों चीज के अति बने नो हे। फेर जब गोठ मुहू के सुवाद के रथे ता मनखे काखर ला सुनथे।

ललित साहू “जख्मी”
छुरा, जिला-गरियाबंद (छ.ग.)
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