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कविता

हमर छत्तीसगढ़

मैं वो छत्तीसगढ़ के रहईय्या अंव,
जिंहा मया के गंगा बहिथे गा!
तीरथ ले पावन जिंहा के माटी,
भुईंया मा सरग ह रहिथे गा !!

दुनिया के पेट भरईय्या जौन,
अन्नपूरना दाई के कोरा ए !
सूख समृद्धि ह रहिथे जिंहा,
वो हरियर धान कटोरा ए!!

गांव गांव म जिंहा रखवारी,
करथे सितला महतारी ह!
निच्चट सिधवा भोला भाला,
जिंहा के सब नर नारी ह!!
गुरु घांसी,वल्लभाचार्य जेला
बाल्मिकी ह कहिथे गा…..

शबरी के बोइर खाए जिंहा,
बन बन घुमे रघुराई ह!
भोरमदेव अऊ राजिम लोचन,
जिंहा बईठे हे बमलाई ह!!

मैनपाट अऊ चित्रकोट जिंहा,
कोइला लोहा के पहाड़ी हे!
कोरबा, भेलई के ताकत संग,
बस्तर के जंगल झाड़ी हे!!
अरपा पैरी के निर्मल धार,
जिंहा शिव महानदी ह बहिथे गा..

हरेली तीजा पोरा संग,
जिंहा होली अऊ देवारी हे !
सुआ ददरिया करमा संग,
अइरसा ठेठरी खुरमी के बियारी हे !!

पथरा तन के जिंहा के मनखे,
जांगर तोड़ कमावत हे !
चटनी बासी के ओ खवईया,
खेत म जिनगी पहावत हे !!
जेन जाड़ घाम अउ बरसा पानी ल
देखव कइसे सहिथे गा…
मैं वो छत्तीसगढ़…….। तीरथ ले….

राम कुमार साहू
सिल्हाटी, कबीरधाम
मो नं. 9977535388