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कविता

हमर देश के किसान ….

हमर देश के किसान ,
तुमन हबो अड़बड़ महान।
तोर बिना ये देश ह ,
तोर बिना ये दुनिया ह ,
हो जाही गा बिरान ।
हमर देश के किसान ,
तुमन हबो अड़बड़ महान ।
घाम ल सहिथव ,
पियास ल सहिथव ,
अउ सहिथव जाड़ ल।
कभु फसल ल ले जाथे सुख्खा ह ,
कभु ले जाथे बाढ़ ह।
तभो नइ होवव जी निराश ।
हमर देश के किसान ,
तुमन हबो अड़बड़ महान ।
तोर नांगर के नास म ,
ये दुनिया के बिकास हे ,
तोर टंगिया के धार ले ,
ये दुनिया म परकाश हे ।
तोर उपजाये अन ल खाके ,
जिंयत हे सनसार ।
हमर देश के किसान ,
तुमन हबो अड़बड़ महान ।
तोर मुड़ी के पागा ह,
ये भारत के शान हे ।
तोर महिनत ल देख के ,
ये दुनिया हइरान हे ।
परिया भूईंया म तैं ,
उगा देथस सोनहा धान ।
हमर देश के किसान ,
तुमन हबो अड़बड़ महान ।
तैं ह भूखन लांघन रहि के ,
पेट सबके भरथस जी ।
सांझ ले , मुंधिहार ले ,
तैं ह खेत म रहिथस जी ।
तोर महिनत ल ,
ये “नुकीला” करथे जी परनाम ।
हमर देश के किसान ,
तुमन हबो अड़बड़ महान ।
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– नोख सिंह चंद्राकर “नुकीला