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कविता

हमर स्कूल

हमर गॉव के गा स्कूल,
सरकारी आवय झन भूल।
दीदी-भैया पढ़े ल, चले आहु ना…
खेल-खेल में सबो ल पढ़हाथे,
अच्छा बात ल बताथे…..दीदी…

रोज-रोज नवा-नवा, खेल खेलवाथे।
गोटी-पथरा बिन गिन, गिनती लिखाथे।।
हमर गॉव के……..दीदी……..

फल-फूल अंग्रेजी के, नाम हमन पढ़थन।
दुनिया ल समझेबर, जिनगी ल गढ़थन।।
हमर गॉव के……..दीदी………

दार-भात,कपड़ा के, झन चिंता करहु।
सर-मैडम बने-बने, ध्यान दे के पढ़हु।।
हमर गॉव के ……..दीदी………

सरपंच अउ पंच के एमा, हावै भागीदारी।
जिला अधिकारी संग, सबके जिम्मेदारी।।
हमर गॉव के………दीदी………..

मिलही बने शिक्षा, संगीत अउ गान के।
तुंहर सम्मान के, देश के अभिमान के।।
हमर गॉव के……….दीदी………….

अपन-अपन किश्मत,बनाहु संगवारी।
पढ़े-लिखेमन के जी, मान होथे भारी।।
हमर गॉव के……….दीदी………

शिक्षा ल पाये के, हमर अधिकार हे।
नइ छोड़ो स्कूल ल, उंहा रोज तिहार हे।।
हमर गॉव के……….दीदी………..

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा, कबीरधाम (छ.ग.)

One reply on “हमर स्कूल”

बढ़िया सर जी

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