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कविता

हरेली के गीत

हरेली निराली झूमत-नाचत आय हरियाली
लाए संग म ये खुशहाली,
आए हे गेड़ी म चढ़के
दिखे देवी-देवता मन सरग के।
धरे ठेठरी, खुरमी भरे थाली।
झम-झम फूल बरसाए बादल
संभर गे जम्मो मोटियारी,
मुसकुरावय गरीब किसान
नागर बैला के करत सम्मान
रंधनी ले मुसकावय घरवाली।
सब डाहर खुशी मस्ती छागे
नदिया, नरवा घलो बौरागे
कूके लगिस कोयलिया कारी।
मन के बात मन म झन राखव
दया-मया बांटव खुशी ल बांटव
रोज बन जाही हरेली निराली।

तेजनाथ
पिपरिया, कवर्धा