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कविता

हायकू

कुकुर कोरा
म घूमत हे, टूरा
ह रोवत हे ।
किरकेट के
चढे हसवै बुखार
ददा बेहाल ।
दोरदीर ले
भेंड कस झपाथे
बफे म खाथे ।
‘कालोनी’ रोग
गॉंव म हबरागे
जी दरर गे ।
माई-मूडी ह
बनगे कहूं आन
मरे बिहान ।
मनगरजी,
सियानी, नई बॉंचै
खपरा छान्‍ही ।
गोटियाय ल
जेन हर जानथे
तेने हर जानथे
तेने तानथे ।
हक के गोठ
जेनेच गोठियाथे
बनेच खाथे ।
सही बोलबे
तब परही डंडा
मार लबारी ।
पाछू रहे के
टकर, अगुवाथे
तेला पकड ।

नरेन्‍द्र वर्मा
सुभाष वार्ड, भाटापारा
07726 – 222461