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कविता

हिम्मत हे त आघु आ





लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर
हिम्मत हे त आघु आ,
देखथँव के दाँत हे तोर जबङा में
लुकाके तैं झन पुछी हला।
मुसवा कस खुसरके बिला म
शेर ल झन तै ताव देखा,,
लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर
हिम्मत हे त आघु आ।।
खात बुकबुकी मारत हे तुमला
घर अँगना ले भटके हव,
तीन सौ कुकुर ह जुरयाके
पचीस झन शेर ल हटके हव।
कुकुर तै मरबे कुकुर के मउत
अपन बहादुरी झन जता,,
लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर
हिम्मत हे त आघु आ।।
24 अप्रेल के दिन सुरता रखबे
आज आँसु हमन बोहावत हन,
फेर काली हाबय तोर पारी
तोर बर कफन हमन बनावत हन।
पाताल ले भी झींकत लाबो
मंइन्ता हमर झन भोगा,,
लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर
हिम्मत हे त आघु आ।।
साहत ले हम अङबङ सहेन
अब हमन नई साहन,
अंतस ल हमर चुरो डारेस तै
तोला काँटे बिना नई राहन।
कुदा कुदाके पिटबो अब हम
बिला ले बाहिर तो आ,,
लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर
हिम्मत हे त आघु आ।।
सुकर मना तोर मुखिया के
जेन गोल्लर कस तोला ढील देथे,
हमर मुखिया खुद मुँहू लुकाथे
अउ हमरो हाँथ गोड़ सील देथे।
नहिते रमंज देतेन माछी कस तोला
हवा म जादा झन उङा,,
लुकाके काबर चाबथच रे कुकुर
हिम्मत हे त आघु आ।।
मोर विनती हे सरकार ले
शहरिया अउ गंवार ले
कुकुर के पुछी टेङगा हे तेन
सोज तो कभु होवय नही,
पेंड़ ह जागे हे बमरी के
वोमा मोंगरा फुल उलहोवय नही।
नक्सलवाद ह एक ठन कचरा ए
येला मिल जुलके जला दव,
समाज के विनास ले
देश ल हमर बचा लव।
रही नही बाँस ह त
कहाँ ले बाजही बसरी,
मिटाय बर एके दिन काफी हे
नक्सलवाद के खजरी।

सोमदत्त यादव
मोहदी, रायपुर, छ. ग.
मो न 9165787803