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गोठ बात

नवा बछर मोर छत्तीसगढ़ में नवा बिहनिया आही सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जब तक स्वांसा, तब तक आसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर बर तो जिनगी के हर घड़ी, हर मिनट, हर सेकेंड, हर दिन, हर महीना अउ हर बछर […]

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गोठ बात

सुक्खा पर गे बेलासपुर के दाई अरपा

बेलासपुर के बिकास के धारा म कुछु छूट गे त ओ हवय अरपा नदी, जो ह बेलासपुर ल जीवन देवइया दाई के बरोबर हवय, कई बछर बीतिस अउ बछर के संगे-संग बेलासपुर सहर म थोरकिन बदलाव घलोक आईस, फेर अरपा नदी म कोनो देखे लइक बदलाव नई आइस, अरपा ह जइसन पहली रहिस, वइसने अभी […]

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छंद दोहा

दोहालरी नवा बछर के

1 नवा बछर शुभकामना,जिनगी हो खुशहाल। मन के कोठी मा मया,बाढ़य जी हर साल। 2 पाछू के अटके बुता,सफल सिद्ध हो जाय। नवा बछर हे देवता,जन जन सब मुस्काय। 3 मतलबिया घरफोरवा,झन दँय घातक घात। सुमता के दियना जलय,गाँव गली दिन रात। 4 अघुवा लहुटे दोगला,अइसन दिन झन आय। कथनी करनी एक हो,किरिया अपन निभाय। […]

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कविता

गीत – बाँसुरिया के तान अउ सूना लागे घर अँगना

बाँसुरिया के तान बाँसुरिया के तान मा, नचावय कन्हैया। राधा रानी घलो नाचै,बजावै पैजनियाँ। बाँसुरिया के……….. माई जसोदा मोर, दही ला गँवाडारिस। गोप गुवालीन मन, सूध भुला डारिस।। रद्दा ला छोड़ कहाँ, जावत हे जवईया। बाँसुरिया के……….. गईया चरावत सबो,खेले सब ग्वाला। पनिया भरत छेड़े, दिखे भोला भाला।। पनघट आय फोरे, पानी के गघरिया। बाँसुरिया […]

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गीत

जयति जय जय छत्तीसगढ़ देस, चेतावनी, लावनी – पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय

4 जनवरी 1887 को रायगढ़ ज़िले में बालपुर नामक ग्राम में जन्मे लोचन प्रसाद पाण्डेय हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। इन्होंने हिन्दी, संस्कृत एवं उड़िया दोनों भाषाओं में काव्य रचनाएँ भी की हैं। सन 1905 से ही इनकी कविताएँ ‘सरस्वती’ तथा अन्य मासिक पत्रिकाओं में छपने लगी थीं। मुख्य रचनाएँ’ दो मित्र’, ‘प्रवासी’, ‘कविता कुसुम […]