बाढहे हाबे जाड़ ह, सब झन भुररी तापत हे। कतको ओढ ले साल सेटर, तभो ले हाथ कांपत हे। सरसर सरसर हावा चलत, देंहें घुरघुरावत हे। नाक कान बोजा गेहे, कान सनसनावत हे। पानी होगे करा संगी, हाथ झनझनावत हे। कांपत हाबे लइका ह, दांत कनकनावत हे। गोरसी तीर में बइठे बबा, हाथ गोड़ लमावत […]
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