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गोठ बात

बुरा ना मानो होली है

होली हे भई होली हे, बुरा न मानों होली हे। होली के नाम सुनते साठ मन में एक उमंग अऊ खुसी छा जाथे। काबर होली के तिहार ह घर में बइठ के मनाय के नोहे। ए तिहार ह पारा मोहल्ला अऊ गांव भरके मिलके मनाय के तिहार हरे। कब मनाथे – होली के तिहार ल […]

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कविता

रंग डोरी होली

रंग डोरी-डार ले गोरी, मया पिरीत के संग म, आगे हे फागुन मोर नवा-नवा रंग म। झूमे हे कान्हा-राधा के संग म, मोर संग झुम ले तै, रंग के उमंग म। रंग ले भरे गोरी, तोर लाल-लाल गाल हे, होरी म माते, तोर रंग के कमाल हे। फ़ाग गए फगुनिया, जियरा बेहाल हे, रात भर […]

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कविता

धीर लगहा तैं चल रे जिनगी

धीर लगहा तैं चल रे जिनगी, इहाँ काँटा ले सजे बजार हवय। तन हा मोरो झँवागे करम घाम मा, देख पानी बिन नदिया कछार हवय।। मया पीरित खोजत पहाथे उमर, अऊ दुख मा जरईया संसार हवय।। कतको गिंजरत हे माला पहिर फूल के, मोर गर मा तो हँसिया के धार हवय।। सच के अब तो […]

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गोठ बात

बिकास के बदचाल म होली होवथे बदहाल

ए दे, होली आ गे। फागुनी बयार ले गांव-गली, जंगल-पहाड़, सहर डहर चारों कोती मया महरथे। पऊर साल के होली म टेंगनू अउ बनऊ के अनबोलना ल तिहारू ह टोरे रीहिस। टेंगनू अउ बनऊ म सुघर मितानी हो गे। फेर ये मितानी ह काई कस जनइस ! चम्मास म टेंगनू ह अपन खेत के पानी […]

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कविता

पइधे गाय कछारे जाय

पइधे गाय कछारे जाय भेजेन करके, गजब भरोसा। पतरी परही, तीन परोसा। खरतरिहा जब कुरसी पाइन, जनता ल ठेंगवा चंटवाइन। हाना नोहे, सिरतोन आय, पइधे गाय, कछारे जाय ॥ ऊप्पर ले, बड़ दिखथे सिधवा, अंतस ले घघोले बघवा। निचट निझमहा, बेरा पाके, मुंहूं पोंछथें, चुकता खा के। तइहा ले टकरहा आय, पइधे गाय कछारे जाय […]

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कहानी

मया के रंग : लघु कथा

सुकलू ह होली तिहार के दिन परछी मं बइठे रहिस। ओकर टुरा किशन ह अपन दाई ल बतावत रहिस, काकी ह अड़बड़ अकन रोटी बनावत हे, जतका झन काकी घर आवत हे, ओतका झन ल रोटी बांटत हे, फेर मोला नइ दिस हे। अपन लइका किशन के गोठ ल सुनके सुकलू ह अपन लइकापन ल […]

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छंद सार

कका के बिहाव : सार-छंद

कका बता कब करबे शादी, देख जवानी जाथे ! बइठे रोथे दादी दादा, संसो घानी खाथे !!1!! ढ़ींचिक-ढ़ींचिक नाचत जाबो, बनके तोर बराती ! पागा-पगड़ी माथ बँधाये, देखे राह घराती !!2!! गँड़वा-डीजे जेन लगाले, नागिन पार बजाबो ! बुड़हा-बुड़ही रंग जमाही, सबला खींच नचाबो !!3!! दाई कइही जी देरानी, घर अँगना के रानी! आव-भाव मा […]

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कविता

महतारी भासा

मातृभासा म बेवहार ह बसथे, इही तो हमर संसकार ल गढथे। मइनखे के बानी के संगेसंग, सिक्छा म वोकर अलख ह जगथे। लईकोरी के जब लईका रोथे, इही भाखा के बोल ह फबथे। आगू आगू ले सरकथे काम, महतारी के घलो मान ह बड़थे। समाज के होथे असल चिन्हारी, भासा म जब हमर संसकिरती ह […]

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गोठ बात

नारी के महिमा भारी हे

हमर हिन्दू धरम मा नारी के दरजा ला नर ले ऊँच माने गे हावय। सबले सुग्घर बात हमर पुरखा के परमपरा मा हे के नारी ला देवी के रुप मा पूजे जाथे। हमर वेद पुरान अउ ग्रंथ मन मा घलाव नारी हा बिसेस इस्थान मा इस्थापित हावय। ए बात के प्रमान मनु स्मृति मा अइसन […]

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गीत

राज काज म लाबोन

चलव धधकाबो भाखा के आगी ल, दउड़ समर म कूद जाबों रे गुरतुर मीठ छतीसगढ़ी भाखा ल्, हमर राजकाज म लाबोंन रे हमर राज म दूसर के भाखा, होवत हे छतीसगढ़ी के अपमान दूसर के भाखा जबर मोटहा, दूबर पातर छतीसगढ़ी काडी समान अपन भाखा के बढाबोन मान, चलव जुरमिल सुनता बधाबोन रे गुरतुर मीठ […]