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कविता

मोर महतारी

मोर महतारी बढ़ दुलारी, मया हे ओखर मोर बर भारी। अंचरा म रखे के मोला, झुलाथे मया के फुलवारी। महेकत रइथे मोर दाई के, घर अंगना अउ दुवारी।।। जग जानथे महतारी ह, होथे सब्बो ल प्यारी। कोरा म धर के लइका ल, जिनगी करथे उज्यारी। मोर महतारी बढ़ दुलारी, मया भरे हे ओखर म भारी। […]

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छंद दोहा

अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस म दोहा : बेटी

दोहा (बेटी) झन मारव जी कोख मा ,बेटी हे अनमोल। बेटी ले घर स्वर्ग हे, इही सबो के बोल।।1।। बेटी मिलथे भाग ले,करव इँकर सम्मान। दू कुल के मरजाद ये,जानव येहू ज्ञान।।2।। बेटी आइस मोर घर,गज़ब भाग हे मोर। घर पूरा खुशहाल हे,जुड़े मया के डोर ।।3।। बेटी ला सम्मान दव, ये लक्ष्मी के रूप। […]