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गज़ल

छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

घर-आँगन मा दिया बरे, तब मतलब हे। अँधियारी के मुँहू टरे, तब मतलब हे।। मिहनत के रोटी हर होथे भाग बरोबर, जम्मो मनखे धीरज धरे, तब मतलब हे। दुनिया कहिथे ओ राजा बड़ सुग्घर हे, दुखिया मन के दुख हरे, तब मतलब हे। नेत-नियाव के बात जानबे तब तो बनही अतलंग मन के बुध जरे, […]

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गोठ बात

नवरात मा दस दोहा

1~भक्ति भाव भक्कम भरे, बंदन बदन बुकाय। राम-राम बड़ जीभ रटे, छूरी पीठ लुकाय। 2~ चंदन चोवा चुपर के, सादा भेस बनाय। रंगरेलिहा मन हवै, अंतस जबर खखाय। 3~जप-तप पूजा पाठ ले, नइ छूटय जी पाप। मन बैरागी जे करय, वोला का संताप। 4~ माया मोय मा मन रमे,भगवन मंदिर खोज। अंतस अपने झाँक ले, […]

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समीच्‍छा

छ्न्द बिरवा : नवा रचनाकार मन बर संजीवनी बूटी

चोवाराम वर्मा “बादल” जी के “छ्न्द बिरवा” पढ़े बर मिलिस । एक घव मा मन नइ माढ़ीस दुबारा पढ़ डारेंव। सिरतोन म अतका बढ़िया छन्द संग्रह हवय येकर जतका प्रसंशा करे जाय कम हवय । अब के बेरा म अइसन लिखइया आगे हवय जिंकर किताब ल पढ़ना तो दूर पलटाय के भी मन नइ होय […]

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गीत

मैं जनम के बासी खावत हौं

नवजवान,तैं चल, मैं पीछु-पीछु आवत हौं, कइसे चलना हे, बतावत हौं। ताते-तात के झन करबे जिद कभू, मैं जनम के बासी खावत हौं। तोर खांध म बइठार ले मोर अनुभव ल बस , मैं अतके चाहत हौं। दूर नहीं मैं तोर से , मोर संगवारी, पुस्तक म, घटना म, समे म,सुरतावत हौं। पानी के धार […]

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छंद लावणी

लावणी छंद : श्रद्धा के सुरता माँ मिनी माता

भारत माँ के हीरा बेटी,ममतामयी मिनी माता। तै माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता। सुरता हे उन्नीस् सौ तेरा, मार्च माह तारिक तेरा। देवमती बाई के कुँख ले,जन्म भइस रतिहा बेरा। खुशी बगरगे चारो-कोती,सुख आइस हे दुख जाके। ददा संत बड़ नाचन लागे,बेटी ला कोरा पाके। सुख अँजोर धर आइस बेरा,कटगे अँधियारी राता। […]

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कविता

दाई ददा भगवान हे

दाई ददा के मया दुलार म मनखे होथे बडका धनवान जी झन छोडव दाई ददा ल् जागत तीरथ बरथ भगवान जी जन्म देवइया दाई के करजा जिनगी भर नई छुटाए दाई के मया अमरित बरोबर दूध के संग म पियाये नवा रस्ता गढ़हईया हमर जिनगी रूप शील गुणवान जी दाई ददा के मया दुलार म […]