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कविता

छत्तीसगढ़ी बोलबो

मया के मधुरस करेजा म घोलबो, गुरतुर बोली छत्तीसगढ़ी ल बोलबो। भाखा हे मोर बड़ सुघ्घर-सुघ्घर। सारी जिनगी मिल-जुल के लिखबो, बोली हे हमर बढ़िया भाखा हे, गोठियाये के मन म बड़ अभिलासा हे। सारी जगहा अपन बोली-भाखा ल, बगराबो छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाबो। जुन्ना-नवा परंपरा ल अपनाबो, छत्तीसगढ़ी संस्कृरिति ल सब्बो ल जनाबो। संगी-जहुरिया संग […]

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गीत

मोर छतीसगढ़ महान हे

छतीसगढ़ के पबरित भुईया जस गावत जहान हे वीर जनमईया बलिदानी भुईया मोर छतीसगढ़ महान हे होवत बिहनिया सुरुज के लाली नित नवा अंजोर बगरावय मटकत रुखवा पुरवईया म डोंगरी पहाड़ी शोभा बढ़हावय जन जन के हिरदे म मानवता मया के खदान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे करिया तन म मनखे […]

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गीत

तेजनाथ के रचना

बड़ उथल-पुथल हे मन म, आखिर का पायेंव जीवन म? जंगल गेयेंव घर,परिवार छोड़ के, घेर लिस ‘तियागे के अहम’ उंहा भी बन म। देह के बंधन ले मुक्ति बर देह मिले, कहिथें, अउ पूरा जिनगीए सिरागे देह के जतन म। अमका होही, ढमका होही, कहिथें, फलाने दिन,दिसा,फलाने लगन… म। बड़ दिक्कत हे, दुख हे […]

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गीत

आँखी मा आँखी

आँखी मा आँखी तँय मिला के देख ले। जिनगी के बीख ला पीया के देख ले।। आँखी मा आँखी……… पथरा के मुरती नो हँव महुँ मनखे आँव, नइ हे बिसवास तँय हिलाके दे ख ले। आँखी मा आँखी……… हिरदे मा तोर नाँव के लहू दउड़त हावै, धक-धक ए जिवरा धड़काके देख ले। आँखी मा आँखी………. […]

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गोठ बात

बेटी के हाथ मा तलवार करव बिचार

ओ दिन छग ले परकासित सबो अखबार मा फोटू छपे रहिस, संगे संग लिखाय रहिस -“बेटियों ने थामी तलवार” । पढ़के मोर आत्मा कलप गे। जौन बेटी ल ओकर दाई ह चूल्हा फूकेबर, बर्तन मांजे बर,घर लिपेबर, साग भात रांधेबर, पढ़लिख के अपन गोड़ मा खड़े होयबर अउ ममता, मया के संग जिनगी बिताय के […]

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कविता

जब ले बिहाव के लगन होगे

संगी, जब ले बिहाव के लगन होगे बदल गे जिंनगी,मन मगन होगे। सात भांवर, सात बचन, सात जनम के बंधन होगे। एक गाड़ी के दू चक्का जस, दू तन एक मन होगे। सांटी के खुनुर- खुनुर, अहा! सरग जस आंगन होगे। भसम होगे छल-कपट सब, बंधना पबरित अगन होगे। नाहक गे तन्हाई के पतझड़, जिंनगी […]

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कहानी

कहानी – बड़की बहू

कमला के बिहाव होय 24 बच्छर होगे हे।ओ हा अपन बड़े नोनी के बिहाव घलाव कर डारिस।ओकर नानकुन बेटी नतनीन घलो आगे,फेर कमला के बुढ़ी सास अऊ ओकर सास ह आज ले गारी देयबर नी छोड़िन अउ न कमला ल बड़की बहू मानिन। कम पढ़े लिखे घलो नई हे कमला! अपन मईके के पहिली नोनी […]

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कविता

पानी हे जिंदगानी

कोनो तो समझ, का चीज ये पानी । जिए के एक ठन चीज, किथे ओला पानी। गांव गली सड़क नाला, झन बोहावव पानी ल। जिए पिए के काम आहि, ओ दीन मांगहू पानी ल। पानी बिना हे बन ह सुन्ना, चिरई चिरगुन उन्ना जी। पानी बचाबोन नई बोहावन, छोड़बो करनी जुन्ना जी। एक दिन अईसे […]

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व्यंग्य

पंचू अऊ भकला के गोठ : चुनई ह कब ले तिहार बनगे

पंचू अऊ भकला के गोठ बात चलत रिहिस हे, थोरकिन सुने बर बईठ गेंव पंचू काहत रहय भकला ल, सुन न रे भाई भकला, चुनई आवत हे हमर गाँव गंवई के मईनखे बर बड़का तिहार ये। भकला- किथे, पंचू भईया चुनई ह कबले तिहार बन गेहे नवा बनाय हे का ? पहिली तो अईसनहा तिहार […]

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कविता

बारी के फूट

वाह रे बारी के फूट, फरे हस तैं चारों खूँट । बजार में आते साठ, लेथय आदमी लूट । दिखथे सुघ्घर गोल गोल, अब्बड़ येहा मिठाय । छोटे बड़े जम्मो मनखे, बड़ सऊंख से खाय । जेहा येला नइ खाय, अब्बड़ ओहा पछताय । मीठ मीठ लागथे सुघ्घर, खानेच खान भाय । बखरी मा फरे […]