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कविता

ससुर के नखरा

बिहाव के सीजन चलत हे, महु टुरी देखे बर गेंव, टुरी के ददा ह पूछथे, तोर में का टैलेंट हे, मैं केहेंव टैलेंट के बात मत कर, टैलेंट तो अतका हे, गाड़ी हला के बता देथव, टंकी में पेट्रोल कतका हे। रिस्ता केंसल। दूसर जघा गेंव, टुरी के ददा ह कथे का करथस? मैं केहेंव, […]

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गज़ल

बलदाऊ राम साहू के गज़ल

गोरी होवै या कारी होवै। सारी तब्भो ले प्यारी होवै। अलवा-जलवा राहय भले जी एकठन हमर सवारी होवै। करन बड़ाई एक दूसर के काकरो कभू झन चारी होवै। राहय भले घर टुटहा-फुटहा तब्भो ले ओ फुलवारी होवै। बेटा कड़हा – कोचरा राहय मंदहा अउ झन जुवारी होवै। ‘बरस’ कहत हे बात जोख के, जिनगी म […]