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गोठ बात

अकती के तिहार

छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही सुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी काम करबे ओकर बहुत ही लाभ या पून्य मिलथे। अइसे वेद पुरान में बताय गेहे। कब मनाथे – अकती के तिहार ल बैसाख महीना के अंजोरी पाख के तीसरा दिन […]

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कविता

अकती तिहार

चलव दीदी चलव भईया, अकती तिहार मनबोन ग। पुतरी पुतरा के बिहाव करबो, मड़वा ल गडीयाबोन ग। कोनो लाबो डारा पाना, कोनो तोरन बनाबोन ग। चलव लीपव अंगना परछी, अकती तिहार मनाबोन ग। चलव सजाबो दूल्हा दुल्हीन, सुरघर महेंदी लगाबोन ग। दुदुंग दुदूंग बजही बाजा, दूल्हा दुल्हीन ल नचवाबोन ग। अकती के दिन सबले बढ़िया, […]

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कहानी

आज के बड़का दानव

अभिच कुन के गोठ हवै। हमर रयपुर म घाम ह आगी कस बरसत रिहिस, जेखर ले मनखे मन परसान रिहिस। मेहा एक झन संगवारी के रद्दा देखत एक ठन फल-फूल के ठेला के तीर म बैठै रहव। ओ ठेला वाला करा अब्बड झन मनखे मन आतिस, अऊ अपन बड़ महँगा जिनिस लेके चल देवय। आप […]

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कविता

जब बेंदरा बिनास होही

वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही, एक एक दाना बर तरसही मनखे, बूंद बूंद पानी बर रोही, आज जनम देवैया दाई-ददा के आँखी ले आँसू बोहावत हे, लछमी दाई कस गउ माता ह, जघा जघा म कटावत हे, हरहर कटकट आज मनखे, पाप ल कमावत हे, नई हे ठिकाना ये कलजुग में, […]