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कहानी

परेम : कहानी

साकुर चैनल ल एति-तेति पेले असन करके बिकास पीठ म ओरमाये अपन बेग ल नहकाइस। बैंक भीतर पांव रखते साठ, अहा! कतका सुघ्घर गमकत, ममहावत ठंढा! जइसे आगि म जरे ल घीव म नहवा दिस। भाटा फूल रंग के पुट्टी अउ गाजरी रंग के पट्टी नयनसुख देवत रहिस। बिकास दूनों बाजू, एरी-डेरी, नजर दौडाइस।खास पहिचान […]

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कविता

जेठ के कुहर

जेठ के महीना आगे, कुहर अब्बड़ जनावत हे। घाम के मारे मझनिया कून, पसीना बड़ चूचवावत हे। सुरूज नरायन अब्बड़ टेड़े, रुख राई घलों सुखावत हे, येसो के कूहर में संगी, जीव ताला बेली होवत हे। सरसर सरसर हवा चलत हे, उमस के अबड़ बड़हत हे। तरिया नरूआ सुख्खा परगे, चिरई चिरगुन ह ढलगत हे। […]

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गीत

मोर गाँव ले गँवई गँवागे

मोर गाँव ले गँवई गँवागे बटकी के बासी खवई गँवागे मुड़ ले उड़ागे पागा खुमरी पाँव ले पनही भँदई गँवागे सुग्घर दाई बबा के कहिनी सुनन जुरमिल भाई बहिनी करमा सुआ खोखो फुगड़ी लइकन के खुडवई गँवागे खाके चीला अँगाकर फरा जोतै नाँगर तता अरा रा दूध कसेली खौंड़ी म चूरै मही के लेवना लेवई […]

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गीत

भक्ति करय भगत के जेन

परिया परगे धनहा डोलि, जांगर कोन खपाय। मीठलबरा के पाछू घुमैईया, ससन भर के खाय। बांचा मानै येकर मनके, कुंदरा, महल बन जाय। मिहनत करैईया भूखे मरय, करमछड़हा देखव मसमोटाय। लबारी के दिन बऊराय, ईमान देखव थरथराय। पसीना गारे जेन कमाय, पेट में लात उही ह खाय। भक्ति करय भगत के जेन, पावय परसाद दपट […]

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कविता

ढोंगी बाबा

गाँव शहर मा घूमत हावय , कतको बाबा जोगी । कइसे जानबे तँहीं बता, कोन सहीं कोन ढोंगी ? बड़े बड़े गोटारन माला, घेंच मा पहिने रहिथे । मोर से बढ़के कोनों नइहे, अपन आप ला कहिथे । फँस जाथे ओकर जाल मा , गाँव के कतको रोगी । कइसे जानबे तँही बता, कोन सही […]

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गोठ बात

बेटी मन ल बचाए बर

अपन रखवार खुद बनव, छोंड़व सरम लजाए बर। घर घर मा दुस्साशन जन्मे, अब आही कोन बचाए बर।। महाकाली के रूप धरके, कुकर्मी के सँघार करव। मरजादा के टोर के रुंधना, टँगिया ल फेर धार करव।। अब बेरा आगे बेटी मन ला, धरहा हँसिया ल थम्हाए बर… अपन रखवार….. बेटी के लहू मा, भुँइया लिपागे, […]

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गीत

गरमी अब्बड़ बाढ़त हे

गरमी अब्बड़ बाढ़त हे, कइसे दिन ल पहाबो। गरम गरम हावा चलत हे, कूलर पंखा चलाबो।। घेरी बेरी प्यास लगत हे , पानी दिनभर पियाथे । भात ह खवाय नही जी, बासी गट गट लिलाथे। आमा के चटनी ह, गरमी म अब्बड़ मिठाथे। नान नान लइका मन, नून मिरचा संग खाथे। पेड़ सबो कटा गेहे, […]

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छंद

छंदमय गीत- तोर अगोरा मा

तोर अगोरा मा रात पहागे, देखत-देखत आँखी आ गे। काबर तँय नइ आए ओ जोही, आँखी आँसू मोर सुखागे।।1।। दिन-दिन बेरा ढरकत जावै, तोर सूध मा मन नइ माढ़े। गोड़ पिरागे रद्दा देखत, कुरिया तीर दुवारी ठाढ़े।।2।। सपना देखत रात पहावँव, गूनत-गूनत दिन बित जावै। चिन्ता मा महुँ डूबे रहिथौं, अन-पानी नइ घलो खवावै।।3।। दुनिया […]

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कविता

आमा के चटनी

आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । कांचा कांचा आमा ल लोढहा म कुचरथे, लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे। चटनी ल देख के लार ह चुचवाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बोरे बासी संग में चाट चाट के खाथे, बासी ल खा के हिरदय ह […]

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चौपाई छंद

गहना गुरिया : चौपाई छंद

जेवर ये छत्तीसगढ़ी, लिखथे अमित बखान। दिखथे चुकचुक ले बने, गहना गरब गुमान। नवा-नवा नौ दिन चलय, माढ़े गुठा खदान। चलथे चाँदी सोनहा, पुरखा के पहिचान।। पहिरे सजनी सुग्घर गहना, बइठे जोहत अपने सजना। घर के अँगना द्वार मुँहाटी, कोरे गाँथे पारे पाटी।~1 बेनी बाँधे लाली टोपा, खोंचे कीलिप डारे खोपा। फिता फूँदरा बक्कल फुँदरी, […]