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चौपाई छंद

धरती मँइयाँ : चौपाई छन्द

नँदिया तरिया बावली, भुँइयाँ जग रखवार। माटी फुतका संग मा, धरती जगत अधार।। जल जमीन जंगल जतन, जुग-जुग जय जोहार। मनमानी अब झन करव, सुन भुँइयाँ गोहार।। पायलगी हे धरती मँइयाँ, अँचरा तोरे पबरित भुँइयाँ। संझा बिहना माथ नवावँव, जिनगी तोरे संग बितावँव।~1 छाहित ममता छलकै आगर, सिरतों तैं सम्मत सुख सागर। जीव जगत जन […]

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चौपाई छंद दोहा

किसानी के पीरा

खेत पार मा कुंदरा, चैतू रखे बनाय । चौबीसो घंटा अपन, वो हर इहें खपाय ।। हरियर हरियर चना ह गहिदे । जेमा गाँव के गरूवा पइधे हट-हट हइरे-हइरे हाँके । दउड़-दउड़ के चैतू बाँके गरूवा हाकत लहुटत देखय । दल के दल बेंदरा सरेखय आनी-बानी गारी देवय । अपने मुँह के लाहो लेवय हाँफत-हाँफत […]