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गुड़ी के गोठ

छंद के छ : एक पाठशाला, एक आंदोलन

वइसे “छंद के छ” हा आज कोनो परिचय के मोहताज नइ हे तभो ले मैं छोटे मुँहु बड़े बात करत हँव। छत्तीसगढ़ी छंद शास्त्र के पहिलावँत किताब “छंद के छ” सन् 2015 मा श्री अरुण निगम जी द्वारा लिखे हमर मन के बीच मा आइच। छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पोठ करे के उद्देश्य ले लिखे ए […]

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गोठ बात

पानी बिना जग अंधियार

पानी ह जिनगी के अधार हरे। बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अऊ पेड़ पौधा नइ रहि सके। पानी हे त सब हे, अऊ पानी नइहे त कुछु नइहे। ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय। ऐकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे – रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये […]

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गोठ बात

मोर लइका ल कोन दुलारही

पूनाराम के बड़े बेटी सुनीता के बिहाव होय छै बच्छर ले जादा बीत गे।एक झन साढ़े चार बच्छर के बेटी अउ दू बच्छर के बेटा हवय। सुनीता अपन ग्यारा बच्छर के भाँची ल पहली कक्षा ले अपने कर राख के पढ़ात हवय। सुनीता के गोसइया कुलेस सहर के अस्पताल के गाड़ी चलाथे।ठेकादारी हरय पक्की नी […]

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कहानी

सेठ घर के नेवता : कहिनी

रमेसर अपन छोटे बेटी के चइत मा बिहाव बखत अड़बड़ खुस रहिस। जम्मो सगा सोदर,नत्ता गोत्ता, चिन पहिचान,अरपरा परपरा ल नेवता देय रहिस।सबो मन आय घलाव रहिस।सहर के सबले बड़े सेठ ला घलो नेवता दिस। ओकर संग बीस बच्छर पहिली जब नानकुन नवा दुकान धरिस तब ले लेन देन चलत हे। आज ओकर दुकान बीस […]

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कविता

माटी के पीरा

मोर माटी के पीरा ल जानव रे संगी, छत्तीसगढ़िया अब तो जागव रे संगी। परदेशिया ल खदेड़व इँहा ले, बघवा असन दहाड़व रे,संगी। मोर माटी के पीरा ल जानव रे संगी छत्तीसगढ़ी भाखा ल आपन मानव रे संगी। दूसर के रददा म रेंगें ल छोडव, अपन रददा ल अपने बनाव रे संगी। छोड़ के अपन […]

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गीत

निषाद राज के दोहा अउ गीत

पांव के पैजनियाँ…आ… संझा अउ बिहनिया। गुरतुर सुहावै मोला तान ओ, गड़गे करेजवा मा बान ओ। पाँव के पैजनिया….आ…आ.. झुल-झुल के रेंगना तोर,जिवरा मोर जलावै। टेंड़गी नजर देखना तोर,जोगनी ह लजावै।। नाक के नथुनिया…..आ.. संझा अउ बिहनिया। झुमका झूलत हावै कान ओ, गुरतुर सुहावै मोला तान ओ। पाँव के पैजनियाँ…… चन्दा कस रूप तोर,चंदैनी कस […]