नेवता हे आव चले आव मोर गाँव के होवथे बिहाव। घूम घूम के बादर ह गुदुम बजाथे मेचका भिंदोल मिल दफड़ा बजाथे रूख राई हरमुनिया कस सरसराथे झिंगुरा मन मोहरी ल सुर म मिलाथे टिटही मंगावथे टीमकी ल लाव।।1।। असढ़िया हीरो होण्डा स्प्लेण्डर म चढ़थे मटमटहा ढोड़िहा अबड़ डांस करथे भरमाहा पीटपीटी बाई के पाछू […]
Day: July 13, 2018
लोक कथा : लेड़गा के बिहाव
– वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव म एक गरीब लेड़गा रहय। ये दुनिया म लेड़गा के कोन्हों नइ रिहिस। दाई रिहिस तउनो ह कुछ समे पहिली गुजर गे। लेड़गा ह बनी-भूती करके भाजी-कोदई, चुनी-भूंसी खाके अपन गुजर बसर करत रहय। सम्पत्ति के नाव म लेड़गा के एक झोपड़ी भर रहय तब उही झोपड़ी के आधा म […]
कल्चर बदल गे
पहिली के जमाना मा साझा-परिवार रहिन। हर परिवार मा सुविधा के कमी रहिस फेर सुख के गंगा बोहावत रहिस। सियान मन के सेवा आखरी साँस तक होवत रहिस।अब कल्चर बदल गे, साझा परिवार टूट गे। सुविधा के कोनो कमी नइये, फेर सुख के नामनिशान नइये। लोगन आभासी सुख के आदी होवत हें। सियान मन वृद्धाश्रम […]
चारो मुड़ा हाहाकर मचावत, नाहक गे तपत गरमी, अउ असाढ़ आगे। किसान, मजदूर, बैपारी, नेता,मंतरी,अधिकारी,करमचारी… सबके नजर टिके हे बादर म। छाए हे जाम जस करिया-करिया, भयंकर घनघोर बादर, अउ वोही बादर म, नानक पोल ले जगहा बनावत, जामत बीजा जुगुत झाँकत हे, समरिद्धी। केजवा राम साहू ”तेजनाथ” बरदुली, कबीरधाम (छ. ग.)