Categories
गोठ बात

संतान के सुख समृद्धि की कामना का पर्व- हलषष्‍ठी

वीरेन्द्र ‘सरल‘ संसार में हर विवहित महिला के लिए मातृत्व का सुख वह अनमोल दौलत है जिसके लिए वह कुबेर के खजाने को भी लात मारने के लिए सदैव तत्पर रहती है। माँ अर्थात ममता की प्रतिर्मूत, प्रेम का साकार स्वरूप, त्याग और बलिदान की जीवन्त प्रतिमा। माँ षब्द को चाहे जितने उपमान देकर अलंकृत […]

Categories
कहानी

कमरछठ कहानी : मालगुजार के पुण्य

-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक झन मालगुजार रहय। ओहा गाँव के बाहिर एक ठन तरिया खनवाय रहय फेर वह रे तरिया कतको पानी बरसय फेर ओमे एक बूंद पानी नइ माढ़े। रद्दा रेंगईया मन पियास मरे तब तरिया के बड़े जान पार ला देख के तरिया भीतरी जाके देखे। पानी के बुंद नइ दिखय […]

Categories
कहानी

कमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी

वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक देरानी अउ जेठानी रहय। जेठानी के बिहाव तो बहुत पहिलीच के होगे रहय फेर अभी तक ओखर कोरा सुनना रहय। अड़बड़ देखा-सुना इलाज-पानी करवाय फेर भगवान ओला चिन्हबे नइ करय। मइनखे मन ओला बांझ कहिके ताना मारे। जेठानी के जीव ताना सुनई में हलाकान रहय। सास-ससुर अउ ओखर गोसान […]

Categories
कहानी

कमरछठ कहानी – सोनबरसा बेटा

-वीरेन्द्र सरल एक गांव में एक झन गरीब माइलोगन रहय। भले गरीब रिहिस फेर आल औलाद बर बड़ा धनी रिहिस। उहींच मेरन थोड़किन दूरिहा गांव में एक झन गौटनीन रहय। ओखर आधा उमर सिरागे रहय फेर ओहा निपूत रहय। एक झन संतान के बिना ओखर जिनगी निचट अंधियार रहय। ओहा गरीबिन के किस्मत ला सुने […]

Categories
कहानी

कमरछठ कहानी – दुखिया के दुःख

-वीरेन्द्र सरल एक गाँव में दुखिया नाव के एक झन माइलोगन रहय। दुखिया बपरी जनम के दुखियारी। गरीबी में जनम धरिस, गरीब के घर बिहाव होइस अउ गरीबीच में एक लांघन एक फरहर करके जिनगी पोहावत रिहिस। उपरहा में संतान के सुख घला अभी तक नइ मिले रिहिस। जिनगी के आधा उमर सिरावत रहिस फेर […]

Categories
कहानी

कमरछठ कहानी – सातो बहिनी के दिन

-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में सात भाई अउ एक बहिनी के कुम्हार परिवार रहय। सबो भाई के दुलौरिन बहिनी के नाम रहय सातो। एक समे के बात आय जब आशाढ़ के महिना ह लगिस। पानी बरसात के दिन षुरू होईस तब कुम्हार भाई मन पोरा के चुकी-जांता, नंदिया बइला अउ गणेष भगवान के मूरती बनाय […]

Categories
कहानी

कमरछठ कहानी : बेटा के वापसी

– वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में एक झन मालगुजार रहय। ओखर जवान बेटा ह अदबकाल में मरगे रहय। मालगुजार ह अपन ओ बेटा ला अपन पूर्वज मन के बनाय तरिया जउन ह गांव के बाहिर खार में रहिस उहींचे ओला माटी दे रिहस। उहीच गांव में एक गरीब पहटिया रहय जउन ह मालगुजार घर के […]

Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

रद्दा मा काँटा बोवइया मन हर, सूरुज ला जीभ देखइया मन हर। देखौ, बिहनिया के सूरुज आगे, हरदम आँसू बोहइया मन हर। थोरको सोचौ, जानौ , समझौ रे, दूसर बर खाँचा खनइया मन हर। काबर पाछू तुम रेंगत हावौ, आने के पाँव गिनइया मन हर। बेरा आगे अब तो बरसो तुम, बादर कस गजब घपटइया […]

Categories
गोठ बात

ब्रत उपास : कमरछठ अउ सगरी पूजा

नारी मन अपन परिवार के सुखशांति अउ खुसहाली बर अबड़ेच उपास धास करथँय। कभू अपन बर गोसइँया पायबर, पाछू अपन सोहाग ला अमर राखे बर। कतको घाँव तिहार बार मा, देंवता धामी मन के मान गउन करेबर अउ पीतर मन के असीस पायबर घलाव उपास करथँय।अइसने एक उपास महतारी मन अपन लइकामन बर राखथँय।एला कमरछठ […]

Categories
कहानी

नवा बहिनी : नान्हे कहिनी

दीनू मन तीन भाई होथय। बहिनी तो भगवान हा उँखर भाग मा लिखे नइ रहिस। दीनू एसो नवमीं पढ़ही, छोटे भाई विनय सातवीं अउ बड़े भाई मनोज हा ग्यारवीं। दीनू के ददा हा बिजली विभाग के सरकारी करमचारी हवय।हर चार-पाँच बच्छर मा उँकर रहे बसे के ठिकाना बदल जाथय। दीनू अपन दूनो भाई ले अलग […]