Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

सब्बो मतलबी यार होगे। तब्भे तो बंठा – धार होगे। मनखे मन मनखे ला मारिस इज्जत हर तार-तार होगे। धर लिन रद्दा बेटा मन सब परिया खेती – खार होगे। सावन, भादो, कुँवार निकले बादर हर अब बीमार होगे। कुतर-कुतर के खा लेव जम्मो मुसवा हमर सरकार होगे। साधु बबा हर जेल म चल दिस […]

Categories
कविता

दाई के पीरा

बड़े बिहनिया सुत उठ के, लीपय अँगना दाई । खोर गली ला बाहरत हावय , ओकर हे करलाई । आये हावय बहू दू झन , काम बूता नइ करय । चाहा ला बनावय नहीं, पानी तक नइ भरय । आठ बजे तक सुत के उठथे, मेकअप रहिथे भारी । काम बूता ला करय नहीं, करथे […]

Categories
कविता

तीजा लेवाय बर आही

एसो आषाढ़ के पहिली तीजा लेवाय बर तोर भाई आही दाई के मया ददा के दया सुरता के सुध लमाही मोटर फटफटी म चघाके तोर लेनहार तोला लेजाही जोर के जोरन कपड़ा लत्ता मोटरा खसखस ले भराही तीजा मानके तुरते आबे घर दुवार सुन्ना पर जाही आरो खबर लेवत रहिबे “माया” तोर सुरता अब्बड़ सताही […]

Categories
कविता

मोर गाँव के सुरता आथे

कांसा के थारी असन तरिया डबरी, सुघ्घर रूख राई, पीपर,बर अऊ बंभरी I खेत खार हरियर हरियर लहलहाय, मेड़ में बईठ कमिया ददरिया गाय I बारी बखरी में नार ह घपटे, कुंदरू,करेला,तरोई झाके सपटके I चारों मुड़ा हे मंदिर देवालय, बीच बस्ती में महमाया ह दमकय I होत बिहनिया गरवा ढीलाय, कुआं पार मोटियारी सकलाय […]