हाथे धरे बीड़ा, लगावत हो रोपा मिले आबे संगी तै खेतवा कर धरी मिले आबे…………… बेर उगते ही डसना उड़ासेन माया मिलाए के केलवा बनाएन खाएक आबे संगी तै सुन ले फरी फरी. मिले आबे संगी तै खेतवा कर धरी। तै हस संगी मोर हिरदे कर चैना, तै हस मोर सुगा मै हो तोर मैना, […]
Day: December 2, 2018
हमर छत्तीसगढ़
गुरतुर हमर भाखा सिधवा हमर चाल हे। ऐ छत्तीसगढ़िया बड़ा कमाल हे…….2। अरपा पैरी हसदो के निरमल सुघ्घर पानी हे। महानदी हे पुण्य सलिला एहि हमर जिंदगानी हे। ये भुइयां के बात अलग हे…2 राम के इहाँ ननिहाल है मोर छत्तीसगढ़िया बड़ा कमाल के…2। नदिया नरवा झिरिया म देवता धामी बइठे है। रुख राई के […]
हमर हिन्दू पंचांग में अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक के बाद अगहन मास में गुरुवार के दिन अगहन बिरस्पति के पूजा करे जाथे । भगवान बिरस्पति देव के पूजा करे से लक्ष्मी माता ह संगे संग घर में आथे। वइसे भी भगवान बिरस्पति ल धन अऊ बुद्धि के देवता माने गे हे । […]
जड़कला मा रउनिया तापव
अइसे तो जड़कला हा कुँवार महिना से सुरु हो जाथे अउ पूस ले आगू तक रहिथे। कातिक महिना ले मनखे मन रउनिया लेय के घलाव सुरु कर देथे। अग्हन अउ पूस महिना मा कड़कड़ाती जाड़ लागथे।ये महिना मा सूरुज देव अपन गर्मी ला कहाँ लुकाथे तेकर पताच नइ चलय। ये दिन मा कतका जल्दी बेरा […]
दारू के गोठ
जेती देखबे तेती, का माहोल बनत हे। सबो कोती ,मुरगा दारू के गोठ चलत हे।। थइली म नइहे फूटी कउड़ी,अउ पारटी मनाही। चांउर ल बेंच के, दारू अउ कुकरी मंगाही।। मुरगा संग दारू ह,आजकाल के खातिरदारी हे। खीर पूड़ी के अब, नइ कोनो पुछाड़ी हे।। दारू के चक्कर म, छोटे बड़े के नाता ल भुलागे। […]
राजिम नगरी
पबरीत हावे राजिम नगरी, परयाग राज कहलाऐ। बिच नदीया में कुलेश्वर बईठे, तोरेच महीमा गाऐ।। महानदी अऊ पईरी सोंढ़हू, कल-कल धारा बोहाऐ। तीनों नदीया के मिलन होगे, तीरबेनी संगम कहाऐ।। ब्रम्हा बिष्णु अऊ शिव संकर, सरग ऊपर ले झांके। बेलाही घाट में लोमश रिषी, सुग्घर धुनी रमाऐ।। राजिव लोचन तोर कोरा मं बईठे, सुग्घर रूप […]
माटी के मया
अब तो नइ दिखय ग, धान के लुवइया। कहाँ लुकागे संगी, सीला के बिनइया। दउरी,बेलन ले, मुँह झन मोड़व रे…..। माटी संग माटी के, मया ल जोड़व रे…..।। बोजहा के बंधइया, अब कहाँ लुकागे। अरा-तता के बोली, सिरतोन नदागे। गाडा़, बइला के संग ल, झन तुमन छोड़व रे…..। माटी संग माटी के, मया ल जोड़व […]