हाय रे जाड़ा हाय रे जाड़ा ऐसो एतेक बैरी हो गे ठिठुरत हवे हाड़ा हाय रे…….. भिनसारे गोदरी में दुबके सूते रहथो, कईसे उसरी काम बूता मने मने कहथो, अकड़ल हाथे हाय रे दाई कईसे झाड़ो,आंगन बाड़ा हाय………. हालू हालू उसरा के बूता घामा तापत रहथों, जीते जायल घामा उते खटिया खींचत रहथों, छिंड़हा कांचे […]
Day: December 9, 2018
ऊंखर जउंहर होय, मुरदा निकले, खटिया रेंगे, चरचर ले अंगुरी फोरत बखानत रहय। का होगे या भऊजी, काकर आरती उतारत हस, राम राम के बेरा। नांगर धर के खेत रेंगत पूछत रहय छन्नू अपन परोसीन ल। चुनई लकठियाथे तंहंले कइसे मोहलो मोहलो करथे किरहा मन। तेंहा परिवार के मुखिया हरस कहिके, मोर नाव ले रासन […]
परंपरा – अंगेठा आगी
परदेशी अब बुढ़वा होगे।69 बच्छर के उमर माे खाँसत खखारत गली खोर मा निकलथे। ये गाँव ला बसाय मा वोहा अपन कनिहा टोरे रहिस। पहाड़ी तीर के जंगल के छोटे मोटे पउधा मन ला काट के खेत बनाय रहिस। डारा पाना के छानी मा अपन चेलिक काया ला पनकाय रहिस। अंगेठा बार के जड़कला ला […]
भुइंया के भगवान बर एक अऊ भागीरथ चाही
ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमन इहां उत्तम खेती,मध्यम बान(व्यापार),निकृष्ट चाकरी अऊ भीख निदान म बिसवास करईया मनखे अन। हमर सभ्यता संसकिरती म ’’अन्नदाता […]
सेहत के खजाना – शीतकाल
हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा के फूल फूले हावय। एखरे संगे संग रंग-रंग के रहन-सहन,खाना-पीना इहां सबो मा सुघराई हावय। हमर देश के परियावरन घलाव हा देश अउ समाज के हिसाब ले गजब फभथे। इही परियावरन के हिसाब ले देश […]
मोर छत्तीसगढ़ के माटी
गुरतुर हावय गोठ इहाँ के, अऊ सुघ्घर हावय बोली। लइका मन ह करथे जी, सबो संग हँसी-ठिठोली।। फुरसद के बेरा में इहाँ, संघरा बइठे बबा- नाती। महर-महर ममहाये वो, मोर छत्तीसगढ़ के माटी।। बड़े बिहनिया ले संगी, बासी ह बड़ सुहाथे। आनी-बानी नी भावय, चटनी संग बने मिठाथे।। ईज्जा-पिज्जा इहाँ कहां, तैहा पाबे मुठिया रोटी। […]
मनखे गंवागे
मनखे गंवागे गांव के शहर के देखाईं म गांव भुलागे स्वारथ के अंधियारी खाईं म।। इरिषा अनदेखना बाढ़ गे डाह धरिस हितवाही म। पिरीत परेम के दिया बुतागे, आग लगिस रुख राई म। खेत खार ह परिया होगे यूरिया के छिचाई म मनखे गंवागे शहर म जाके अंधाधुंध कमाई म। पहुना के सम्मान गंवागे नारी […]
Sorry
अंधियार गहरावत हे। मनखे छटपटावत हे। परकास के अगोरा म हाथ लमाये बइठे हे लोगन। परकास हमर जिनगी म कइसे हमाही, एकर चिनतन मनन अऊ परकास लाने के उदिम बहुतेच कम मनखे मन कर पाथे। जेन मनखे हा परकास ला भुंइया म बगराके, दुनिया ला जगजग ले अंजोर कर देथे उही मनखे हा जग म […]