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व्यंग्य

व्‍यंग्‍य-हनुमान के जात

बैकुण्ठ धाम म भगवान राम ह माता सीता संग सुंदर सिंघासन म बिराजमान होके इहलोक के संबंध म चरचा करत रहय वतकी बेरा म हनुमानजी उंहा पहुंचथे अउ पैलगी करथे।हनुमान जी ल उदुपहा बैकुण्ठ धाम म आय देखके श्री रामचंद्र ल बड अचरित लागथे।ओहा हनुमानजी ल पूछथे-कैसे पवनपुत्र!आज उदुप ले इंहा कैसे!कलजुग सिरागे का? हनुमानजी […]

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कविता

नवा साल मं

महिना के का हे संगी हो? आत रइही-जात रइही, जनवरी,फरवरी…। साल के का हे संगी हो? आत रइथे-जात रइथे ये तो, …..दू हजार अठारा, दू हजार अठारा ले दू हजार ओन्नईस, ओन्नईस ले बीस,बीस ले….। बदलत रईही कलेंडर घलोक। महत्तम के बात हे संगवारी हो, हमर नइ बदलना। संगी हो, हमन मत बदलिन, हमर पियार […]

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गीत

सरगुजिहा जाड़ा कर गीत

जाड़ा कर मारे, कांपत हवे चोला बदरी आऊ पानी हर बईरी लागे मोला। गरु कोठारे बैला नरियात है, दूरा में बईठ के कुकुर भुंकात हवे, आगी तपात हवे गली गली टोला, जाड़ा कर मारे……… पानी धीपाए के आज मै नहाएन चूल्हा में जोराए के बियारी बनाएन आज सकूल नई जाओ कहत हवे भोला जाड़ा कर […]

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कविता

कविता : नवां अंजोर अउ जाड़

नवा अंजोर आही एकर अगोरा हे, मोर छत्तीसगढ़ धान के कटोरा हे। जुन्ना गइस सरकार, राज सुघ्घर चलाइस हे, नवा सरकार ह उजयारी के सपना देखाइस हे। अब सपना के पूरा होवत ले अगोरबो परजा तन्त्र निक हे सबला परखबो। तुंहर भी जय हो हमरो घलो जय हो लोगन के सेवा आगु जम्मो के विजय […]