“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत” “उठव, जागव अउ लक्ष्य पाय के पहिली झन रुकव” भारत भुँइया के महान गौरव स्वामी विवेकानंद के आज जनम दिन हरय। स्वामी जी के जनम 12 जनवरी सन् 1863 के कलकत्ता (अब कोलकाता) म होय रिहिस। ऊँखर पिताजी के नाँव बाबु विश्वनाथ दत्त अउ महतारी के नाँव सिरीमती भुवनेश्वरी देवी रिहिस। […]
Day: January 12, 2019
गांव के पीरा
गांव ह गंवागे हमर शहर के अबड़ देखाई मा। मया अउ पीरा गंवागे सवारथ के सधाई मा।। सोनहा हमर भुइयां गवांगे कारखाना के लगाई मा। दुबराज धान के महक गंवागे यूरिया के छिंचाई मा। ममा मामी कका काकी गंवागे अंकल आंटी कहाई मा सुआ नाच के गीत गंवागे डी जे के नचाई मा।। बिसाहू भाई […]
बियंग: करजा माफी
करजा माफी के उमीद म, किसान मन के मन म भारी उमेंद रहय। जे दिन ले करजा माफी के घोसना होय रहय ते दिन ले, कतको झिन बियाज पुरतन, त कतको झिन मुद्दल पुरतन पइसा के, मनदीर म परसाद चढ़हा डरे रहय। दूसर कोती, करजा माफी के घोसना करइया के पछीना चुचुवावत रहय। मनतरी मन […]
समे-समे के बात
बदलाव होवत रहिथे संगी, जिनगी के सफर म, कोनों धोका म झन रहै, बपौती के,न अकड़ म। काल महुँ बइठे रहेंव सीट म, संगी,आज खड़े हौं, कोनों बइठे हे आज, त झन सोचै, के मैं फलाने ले बड़े हौं। केजवा राम साहू ‘तेजनाथ’ बरदुली, कबीरधाम, छ ग. 7999385846
सरसों ह फुल के महकत हे
देख तो संगी खलिहान ल सरसों ह फुल गे घम घम ल पियर – पियर दिखत हे मन ह देख के हरसावत हे नावा बिहान के सन्देस लेके आये हे नावा बहुरिया कस घुपघुप ल हे हवा म लहरत हे सुघ्घर मजा के दिखत हे पड़ोसिन ह लुका लुका के भाजी ल तोरत हे फुल […]
सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़
बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारों मुड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। बड़ भागी हन हमन भईया, छत्तीसगढ़ मं जनम धरेन। ईहें खेलेन कुदेन संगी, ईहें खाऐ कमाऐन।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। छत्तीसगढ़ के मांटी मं भईया, […]
फैसन के जमाना
फैसन के जमाना आगे, आनी बानी फैसन लगावत हे। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी डोकरा झपावत हे।। उमर होगे हे अस्सी साल, अऊ मुंड़ी मं डाई लगावत हे। अजब-गजब हे डोकरी मन के चाल, मुंहूं मं लिबिस्टीक लगावत हे।। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी-डोकरा झपावत हे। फैसन के जमाना आगे, आनी-बानी फैसन लगावत हे।। आज […]