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गोठ बात

नवा चाउर के चीला अउ पताल के चटनी

सियान मन के सीख सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा ? नवा चाउर के चीला अउ पताल के चटनी अबड़ मिठाथे रे। फेर हमन नई मानन। संगवारी हो हमर छत्तीसगढ़ राज ला बने 18 बछर हो गे। ए 18 बछर में हमर छत्तीसगढ़ हर बहुत आगू […]

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गोठ बात

सियान मन के सीख : ए जिनगी के का भरोसा

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! ए जिनगी के का भरोसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। लइकई उमर से ले के सियानी अवस्था तक मनखे के रूप रंग हर अतेक बदलथे जेखर कल्पना नई करे जा सकय। […]

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गोठ बात

कहाँ गँवागे मोर माई कोठी

“पूस के महीना ठूस” कहे जाथे काबर के ये महीना में दिन ह छोटे होथे अउ रात ह बड़े।एहि पूस महीना के पुन्नी म लईका सियान मन ह बड़े बिहनिया ले झोला धर के घर-घर जाथें अउ चिल्ला चिल्ला के कहिथे छेर-छेरा अउ माई कोठी के धान ला हेरते हेरा। घर के मालकिन ला बुलाथें […]

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गीत

छत्तीसगढ़ी बाल गीत

कुतर-कुतर के खाथस मुसवा, काबर ऊधम मचाथस मुसवा। चीं-चीं, चूँ-चूँ गाथस काबर तैं, बिलई ले घबराथस काबर तैं । काबर करथस तैं हर कबाड़ा, अब तो नइ बाँचे तोरो हाड़ा। बिला मा रहिथस तैं छिप के, हिम्मत हे तब देख निकल के। कान पकड़ के नचाहूँ तोला, अड़बड़ सबक सिखाहूँ तोला। बलदाऊ राम साहू

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व्यंग्य

बियंग: निरदोस रहे के सजा

बहुत समे पहिली के बात आय। जमलोक बिलकुलेच खाली होगे रहय। यमदूत मन बिगन बूता काम के तनखा पावत रहय। बरम्हाजी ला पता चलिस त ओहा चित्रगुप्त उपर बहुतेच नराज होइस। चित्रगुप्त ला बरम्हाजी हा अपन चेमबर म बलाके, कमरटोर मंहंगई अऊ अकाल दुकाल के समे म, बिगन बूता के कन्हो ला तनखा देबर मना […]