बसंत बहार छागे सुग्घर, कोइली गीत गावत हे। अमरइया के डारा सुग्घर, लहर-लहर लहरावत हे।। चिरइ चिरगुन चींव-चींव करके, सुग्घर चहकी लगावत हे। कउँवा करत हे काँव-काँव, तितुर राग बगरावत हे।। सरसों के सोनहा फुल फुलगे, अरसी हा लहलहावत हे। सुरूज मुखी हा चारो कोती, सुग्घर अँजोर बगरावत हे।। फुल बगियाँ मा फुल फुलगे, सतरंगी […]
Day: February 7, 2019
कविता – महतारी भाखा
छत्तीसगढ़िया अब सब्बो झन आघु अवव, महतारी भाखा ल जगाये बर जाबो। गांव-गांव म किंजर के छत्तीसगढ़ के गोठ-गोठियाबो, सब्बो के करेजा म छत्तीसगढ़ी भाखा ल जगाबो। छत्तीसगढ़ महतारी के मया ल सब्बो कोती बगराबो, संगी -संगवारी संग छत्तीसगढ़ी म गोठियाबो। महतारी के अब करजा ल चुकाबो, छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठियाबो। छत्तीसगढ़ी भाखा-बोली […]
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
1 कर दे घोषना एक राम जी। पाँचों साल आराम राम जी। दावत खा ले का के हे चिंता। हमरे तोला सलाम राम जी। हावै बड़का जी तोर भाग ह, पढ़ ले तैं हर, कलाम राम जी। आने के काम म टाँग अड़ाना, हावै बस तोर काम राम जी। चारी – चुगली ह महामंत्र हे, […]
आज संझौती बेरा म बुता ले लहुट के आयेंव त हमर सिरीमति ह अनमनहा बैठे राहय।ओला अइसन दसा म देखके मे डर्रागेंव।सोचेंव आज फेर का होगे?काकरो संग बातिक बाता होगे धुन एकर मइके के कोनो बिपतवाला गोठ सुन परिस का। में ह पूछेंव-कस ओ!आज अतेक चुप काबर बैठे हस? ओहा किहिस -कुछु नीहे गा!अउ अपन […]