चुनाव तिहार के बेरा आवत देख मंदहा देवता हा अइलाय भाजी मा पानी परत हरियाय बरोबर दिखे लगथे।थोकिन अटपटहा लगही कि मेहा मंदहा ला देवता कहि परेंव फेर चुनाव के बेरा मा सबके बिगड़ी बनइया काम सिधोइया इहीच हा आय। जइसे चुनाव के लगन फरिहाथे दिन तिथी माढ़थे तब गाँव के मंदहा समूह के खुशी […]
Day: March 31, 2019
आगे चुनई तिहार
तैं मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ.. एक माँगबे, चार देहुँ, साल में बहत्तर हजार देहुँ, खाये बर चाउर देहु, पिये बर दारू देहुँ, चौबीस घंटा बिजली देहुँ, फूल माँगबे तितली देहुँ तैं मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ, रेंगे बर सड़क देहुँ, जेला कहिबे,हड़क देहुँ, रहे बर घर- […]
छत्तीसगढ़ के माटी
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। हीरा मोती सोना चाँदी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा महाप्रभु जी, लिये हावे अँवतारे हे…2 इही भुइयाँ मा लोमश रिसी, आसन अपन लगाये हे…2 बड़े-बड़े हे गियानी धियानी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, […]
हिसार म गरमी
चालू होवत हवय गरमी, जम्मो लगावय डरमी कूल। लागथे सूरज ममा हमन ल, बनावत हे अप्रिल फूल।। दिन म जरे घाम अऊ, रतिहा म लागथे जाड़। एईसन तो हवय संगी, हरियाणा म हिसार।। कोन जनी का हवय, सूरज ममा के इच्छा। जाड़ अऊ गरमी देके, लेवय जम्मो के परीक्क्षा।। मोटर अऊ इंजन के खोलई, होवत […]
रूख तरी आवव
रूख तरी आवव, झुलवा झुलव,थोरकुन बइठव, सुसता लेवव, रूख तरी आवव…… घाम गम घरी आगे रुख तरी छइया पावव, जिनगी के आधार रूख तरी आसरा पावव. रूख तरी आवव…… चिरिया-चिरगुन,पंछी-परेवा बर रूख सुघ्घर ठीहा हवय, चलत पुरवइया पवन ले ,जम्मो तन मन ल जुड़ावव. रूख तरी आवव……. चारो अंग कटगे जंगल झारी नागिन रददा रेंगत […]
झन पी तैं दारू ला संगी , एक दिन तेहा पछताबे। सब कुछ खतम हो जाही ता , काला तेहा खाबे।। छोड़ दे तेहा दारू पीना , आदी तैं हो जाबे। बड़े बड़े बिमारी आही, जान अपन गंवाबे।। लड़ाई झगड़ा छोड़ दे , झन कर तैं अपमान। नारी होथे दुर्गा काली , ओकर कर सम्मान […]
लघुकथा – नौकरी के आस
राजेश अऊ मनोज दूनों पक्का दोस्त रिहिसे। दूनों कोई पहिली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक एके साथ पढ़ीस लिखीस अऊ बड़े बाढ़हीस। दूनों झन के दोस्ती ह गांव भर में परसिद्ध रिहिसे। कहुंचो भी आना जाना राहे दूनों कोई एक दूसर के बिना नइ जावय। राजेश ह गरीब राहय त कई बार मनोज ह ओकर […]
झिरिया के पानी
मयं झिरिया के पानी अवं, भुंइया तरी ले पझरत हवव, मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी……. अभे घाम घरी आगे, नदिया नरवा तरिया अटागे, नल कूप अउ कुआं सुखागे, खेत खार, जंगल झारी कुम्हलागे, तपत भुईया के छाती नदागे. पाताल भुंइया ले पझरत हवं,मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी […]
नान्हे कहानी – सुगसुगहा
राजेश बड़ सुगसुगहा आय। थोरको मौसम बदलिस कि ओखर तबियत बिगड़ जातीस। धुर्रा माटी हा ओखर जनम के बैरी रिहिस होही। राजेश हा अइसे तो बड़का कंपनी मा नउकरी करथे। तनखा घलो बनेच मिलथे। दाई ददा ले दुरिहा, कंपनी के घर मा रहिथे। फेर एकेच ठन दुख मा गुनत हवय। उमर 35 पूरगे हवय अउ […]