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कविता

कलिंदर

बारी में फरे हाबे सुघ्घर, लाल लाल कलिन्दर। बबा ह रखवारी करत, खात हावय जी बंदर।। लाल लाल दिखत हे, अब्बड़ मीठ हाबे। बाजार मे जाबे त, बीसा के तेहा लाबे।। एक चानी खाबे त, अब्बड़ खान भाथे। नइ खावँव कहिबे त, मन हा ललचाथे।। चानी चानी खाबे त, सुघ्घर मन ह लागथे। सोनू मोनू […]

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गोठ बात

छत्तीसगढ़ी संस्कृति म गोदना

छत्तीसगढ़ी लोकाचार परंपरा म गोदना के अब्बड़ महत्म हे, येला छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी संस्कृति सामाजिक-आर्थिक, धार्मिक सब्बो म बढ़ ख्याति मिले हे, अउ ये पीरा देवइया परंपरा ल सब्बो छत्तीसगढ़िया आदिवासी मनखे मन आजो बड़ खुशी अउ जिम्मेदारी ले निभात आत हे, काबर की गोदना गोदवाना कोनो आसान बात नोहे, गोदना गोदाये के सौउख कराईया […]

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गोठ बात

करसी के ठण्डा पानी

गरमी के मउसम अउ सुरूज नरायन अंगरा बरोबर तिपत हे। गरमी बरसात अउ ठण्डा के मउसम एक के पाछु एक आथे एहा जुग जुग ले चलत हे। फेर आजकल के मउसम बदले के समय हा घलो परिवरतन हो गे हे। आधुनिकता, उदयोग अउ बाढ़त परदूसन ले मउसम म घलो बदलाव होवत जावत हे। ऐ बदलाव […]