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कहानी

कहानी : लालू अऊ कालू

लाल कुकुर ह बर पेड़ के छांव में बइठे राहे।ओतके बेरा एक ठन करिया कुकुर ह लुडुंग – लाडंग पुछी ल हलावत आवत रिहिस। ओला देख के लाल कुकुर ह आवाज दिस। ऐ कालू कहां जाथस ? आ थोकिन बइठ ले ताहन जाबे। ओकर आवाज ल सुन के कालू ह तीर में आइस अऊ कहिथे […]

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कविता

मोरो बिहा कर दे

गाँव में सरपंच घर ओकर बड़े लईका के बिहाव में तेल हरदी चढ़त रहीस हे, सगा सोदर सब आय घर अंगना गदबदावत रिहीस फेर ओकर छोटे बाबू श्यामू ह दिमाग के थोरकिन कमजोरहा रिहीस पच्चीस साल के होगे रिहीस तभो ले नानकुन लईका मन असन जिद करत रिहीस I ओहा बिहाव के मायने का होते […]

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कहानी

नानकिन किस्सा : प्याऊ

गाँव के गरीब किसान के लइका सुजल बी ए के परीक्षा ला प्रथम श्रेणी ले पास कर डारिस। गाँव के गुरुजी हा ओला यूपीएससी के परीक्षा देवाय के सुझाव देइस। परीक्षा के फारम भरेबर ओला बड़े शहर मा जायबर परिस। सुजल बिहनिया ले सायकिल मा सड़क तीर के गाँव आइस अउ साइकिल ला उहींचे छोड़ […]

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गोठ बात

आमा खाव मजा पाव

गरमी के मौसम आते साठ सब झन ला आमा के सुरता आथे।लइका मन ह सरी मंझनिया आमा टोरे ला जाथे , अऊ घर में आ के नून – मिरचा संग खाथे।लइका मन ला आमा चोरा के खाय बर बहुत मजा आथे।मंझनिया होथे तहान आमा बगीचा मा आमा चोराय ला जाथे। आमा एक प्रकार के रसीला […]

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कविता

आमा के चटनी

आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । काँचा काँचा आमा ल लोढहा म कुचरथे, लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे। चटनी ल देख के लार ह चुचवाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बोरे बासी संग में चाट चाट के खाथे, बासी ल खा के हिरदय ह […]

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छत्तीसगढ़ी भाखा हिन्‍दी

छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण : कुछ विचार

डॉ. विनय कुमार पाठक और डॉ. विनोद कुमार वर्मा की पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ी का संपूर्ण व्याकरण’ पढ़ने को मिली। इसमें देवनागरी लिपि के समस्त वर्णों को शामिल करने की पुरजोर वकालत की गई है। यह भी ज्ञात हुआ कि डॉ. वर्मा और श्री नरेन्द्र कौशिक ‘अमसेनवी’ की पुस्तक ‘ छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण : मार्गदर्शिका’ भी शीघ्र […]