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कविता

संगी के बिहाव

दोस्ती म हमर पराण रिहिस हे, जुन्ना अब संगवारी होगे। तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे। बाबू के घर म खेले कूदे, तै दाई के करस बड़ संसो। सुन्ना होगे भाई के अंगना, जिहाँ कटिस तोर बरसों।। अपन घर ह पराया अऊ, पर के घर अपन दुवारी होगे। तोर बिहाव के […]

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गोठ बात

लमसेना प्रथा चालू करव

आज मँय एक ठन अलकरहा गोठ करेबर जात हँव। आजकल हमर देस, प्रांत सबो डहर एकेच गोठ सुनेबर मिलथँय कि बहूमन अपन सास ससुर ला अबड़ तपथँय दुख देथँय। एहा समाजिक समस्या बनत जावत हावय। सास ससुर मन सियान होय के पाछू जब कुछु कमाय नइ सकय पइसा कउड़ी के आवक बंद हो जाथय, तब […]

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कहानी

नानकिन किस्‍सा : अमर

आसरम म गुरूजी, अपन चेला मनला बतावत रहय के, सागर मनथन होइस त बहुत अकन पदारथ निकलीस। बिख ला सिवजी अपन टोंटा म, राख लीस अऊ अमरित निकलीस तेला, देवता मन म बांट दीस, उही ला पीके, देवता मन अमर हे। एक झिन निचट भोकवा चेला रिहीस वो पूछीस – एको कनिक अमरित, धरती म […]

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कविता

मरनी भात

मरे मा खवाये संगी मरनी भात ये नो हे संगी सही बात जियत ले खवाये नहीं जिंयईया ला मरे के बाद खवाये बरा सोहारी अउ लाडू़ भात छट्ठी मा खवा के लाडू़ भात बताये अपन खुषी के बात फेर मरनी मा खवा के लाडू़ भात का बताना चाहत हस तिहि जान ? ये नो हे […]

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व्यंग्य

मुद्दा के ताबीज

केऊ बछर के तपसिया के पाछू सत्ता मिले रहय बपरा मनला। मुखिया सोंचत रहय के, कइसनों करके सत्ता म काबिज बने रहना हे। ओहा हरसमभव उपाय करे म लगे रहय। ओकर संगवारी हा देसी तरीका बतावत, एक झिन लोकतंत्र बाबा के नाव बताइस जेहा, ताबीज बांध के देवय। लोकतंत्र बाबा के ताबीज बड़ सरतियां रिहीस। […]