छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हलबी, धुरवी, परजी, भतरी, कमारी, बैगानी, बिरहोर भाषा की लोक कथाऍं लेखक – बलदाऊ राम साहू छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ प्रांत में बोली जानेवाली भाषा छत्तीसगढ़ी कहलाती है। यूँ तो छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रभाव सामान्यतः राज्य के सभी जिलों में देखा जाता है किन्तु छत्तीसगढ़ के (रायपुर, दुर्ग, धमतरी, कांकेर, राजनांदगाँव, कोरबा, बस्तर, बिलासपुर,जांजगीर-चांपा […]
Day: July 23, 2019
पानी के बूँद पाके, हरिया जाथें, फुले, फरे लगथें पेड़ पउधा, अउ बनाथें सरग जस,धरती ल। पानी के बूँद पाके, नाचे लगथे, मजूर सुघ्घर, झम्मर झम्मर। पानी के बूँद पाए बर, घरती के भीतर परान बचाके राखे रहिथें टेटका, सांप, बिछी, बीजा, कांद-दूबी, अउ निकल जथें झट्ट ले पाके पानी के बूँद, नवा दुनिया देखे […]
गिनती, पहाड़ा, सियाही, दवात पट्टी, पेंसल, घंटी के अवाज स्कूल के पराथना, तांत के झोला दलिया, बोरिंग सुरता हे मोला। बारहखड़ी, घुटना अउ रुल के मार मोगली के अगोरावाला एतवार चउंक के बजरंग, तरियापार के भोला भौंरा, गिल्ली-डंडा सुरता हे मोला। खोखो, कबड्डी अउ मछली आस भासा, गनित, आसपास के तलाश एक एकम एक, चार […]
कुछ तो बनव
आज अंधियारी म बितगे भले, त अवइया उज्जर कल बनव। सांगर मोंगर देहें पांव हे, त कोनो निरबल के बल बनव। पियासे बर तरिया नी बनव, त कम से कम नानुक नल बनव। रूख बने बर छाती नीहे, त गुरतुर अउ मीठ फल बनव। अंगरा बरोबर दहकत हे जम्मो, त ओला शांत करे बर जल […]
कतका सुघ्घर दिखथे वोहा अहा! नान-नान कपड़ा मं। पूरा कपड़ा मं, अउ कतका सुघ्घर दिखतीस? अहा!! केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘ बरदुली,कबीरधाम (छ.ग. ) 7999385846