हमर भारत देस राज ह खेती-किसानी वाला देस हावय। याने हमर देस ह किरसी परधान देस हावय। नाग देवता ह किसान के एक परकार ले संगवारी ये, काबर के वो ह किसान के खेत-खार के रछा करथे। येखर कारन वोला छेत्रपाल कहे जाथे। छोटे-मोटे जीव जंतु अउ मुसवा ह फसल ल नुकसान करे वाला जीव […]
Day: August 5, 2019
गुने के गोठ : मोर पेड़ मोर पहिचान
वासु अउ धीरज ममा फूफू के भाई ऑंय। दूनो झन चार छ: महिना के छोटे बड़ेआय। दूनो तीसरी कक्छा मा पढ़थें। वासु शहर के अँगरेजी इस्कूल मा पढ़थे अउ धीरज गाँव के सरकारी स्कूल मा। धीरज के दाई ददा किसानी करथँय अउ वासु के दाई ददा नउकरिहा हावँय। गर्मी के छुट्टी माँ एसो वासु हा […]
शिव शंकर ला मान लव , महिमा एकर जान लव । सबके दुख ला टार थे , जेहा येला मान थे ।। काँवर धर के जाव जी , बम बम बोल लगाव जी । किरपा ओकर पाव जी , पानी खूब चढ़ाव जी ।। तिरशुल धर थे हाथ में , चंदा चमके माथ में । […]
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
आँसू के कीमत तैं का जनाबे। प्रेम- मोहब्बत तैं का जानबे। झगरा हावै धरम अउर जात के, हे असल इबादत तैं का जानबे। आँसू पोंछत हावै अँछरा मा, दुखिया के हालत तैं का जानबे। सटका बन के तैं बइठे हावस, हे जबर बगावत तैं का जानबे। हावै फोरा जी जिनकर पाँव मा, उन झेलिन मुसीबत […]
कविता: कुल्हड़ म चाय
जबले फैसन के जमाना के धुंध लगिस हे कसम से चाय के सुवारद ह बिगडिस हे अब डिजिटल होगे रे जमाना चिट्ठी के पढोईया नंदागे गांव ह घलो बिगड़ गे जेती देखबे ओती डिस्पोजल ह छागे कुनहुन गोरस के पियैया “साहिल” घलो दारू म भुलागे आम अमचूर बोरे बासी ह नंदागे तीज तिहार म अब […]