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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कहावतें

छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ) :- कहावत का शाब्दिक अर्थ है ‘लोक की उक्ति’। इस अर्थ से कहावत का क्षेत्र व्यापक हो जाता है, जिसे हिन्दी साहित्य कोश में इस प्रकार व्यक्त किया गया है “लोकोक्ति में कहावतें सम्मिलित हैं, लोकोक्ति की सीमा में पहेलियाँ भी आ जाती हैं।’ परन्तु आज ‘लोकोक्ति’ शब्द ‘कहावत’ या […]

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे

छत्तीसगढ़ी मुहावरे एवं कहावतें idioms and phrase – छत्तीसगढ़ी में ‘मुहावरा’ को ‘मुखरहा’ और ‘कहावत’ या ‘लोकोक्ति’ को ‘हाना’ कहते हैं। वार्तालाप में वक्ता द्वारा अपनी प्रस्तुति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुखरहा और हाना का बखूबी प्रयोग किया जाता है। बहुप्रचलित मुखरहा और हाना निम्नानुसार हैं – छत्तीसगढ़ी मुहावरे (मुखरहा) – ‘मुहावरा’ ऐसी […]

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – विभक्तियाँ

छत्तीसगढी की विभक्तियाँ :- छत्तीसगढ़ी में विभक्तियों के लिए निम्न प्रकार शब्द प्रयुक्त होते हैं – मैं हर (मैं ने) हमन (हम ने ) ओहर (उसने) ओमन (उन्होंने /उन लोगों ने) मोला (मुझे / मुझ को) हमन ला (हमें / हम लोगों को) तोला (तुम्हें / तुम को) तुमन ला (आप लोगों को) ओला (उसे […]

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय

छत्तीसगढ़ी के अव्यय – समुच्चय बोधक अव्यय – संयोजक – अउ, अउर मैं अउ तैं एके संग रहिबोन। वियोजक – कि, ते रामू जाहि कि तैं जाबे। विरोधदर्शक = फेर, लेकिन संग म लेग जा फेर देखे रहिबे। परिणतिवाचक = तो, ते, ते पाय के, धन बुधारू बकिस ते पाय के झगरा होगे। दिन-रात कमइस […]

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम

छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम Chhattisgarhi pronouns मैं / मैं हर (मैं) – मैं रहपुर जावत रहेंव। हमन (हम) – हमन काली डोंगरी जाबो । तैं / लूँ /तें हर (तुम) – तैं काय कहत रहे ? तुमन(आप लोग) – तुमह तभे बनही। ओ / ओहर (वह) – ओर सुते हे। ओमन (वे) – ओमन नई मानिन। […]

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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – आस्था, अंधविश्वास, बीमारियाँ

आस्था -देवी-देवता के नाम -सांहड़ा देवता, काली माई, चंड़ीदेबी, शीतला माता, देबीदाई, देंवता, मंदिर, भगवान, गणेश, महादेव, पारबती, राम, छिता, लछिमन, बजरंगबली, हनमान, बिसनू, लछमी, सरसती माई, महामाया, बमलेसरी, कंकालीन, बूढिमाता, भैंरो बाबा, सवरीन दाई, ठाकुर देवता, संतोषी दाई, बजारी माता, बामहन देवता, पंडित, पुजारी। सामग्री – उँवारा, जोत, नरियर, परसाद, फूल-पान, हूम-जग, चढोतरी, सेंग, […]

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गीत

छत्तीसगढ़ी नवगीत : पछतावत हन

ओ मन आगू-आगू होगे हमन तो पछवावत हन हाँस-हाँस के ओ मन खावय हमन तो पछतावत हन। इही  सोंच मा हमन ह बिरझू अब्बड़ जुगत लखायेन काँटा-खूँटी ल चतवार के हम रद्दा नवा बनायेन। भूख ल हमन मितान बनाके रतिहा ल हम गावत हन। मालिक अउ सरकार उही मन हमन तो भूमिहार बनेन ओ मन […]

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कविता

बरखा रानी

बहुत दिन ले नइ आए हस, काबर मॅुह फुलाए हस? ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? चीला चढ़ावौंव, धन भोलेनाथ मं जल चढ़ावौंव, गॉव के देवी-देवता मेर गोहरावौंव, धन कागज मं करोड़ों पेड़ लगावौंव। ओ बरखा रानी……? मॅुह फारे धरती, कलपत बिरवा, अल्लावत धान, सोरियावतन नदिया-नरवा, कल्लावत किसान… देख,का ल देखावौंव? ओ बरखा रानी…..? मैं […]