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गोठ बात

गणेश पूजा अउ राष्ट्र भक्ति

भारत के आजादी मा गणेश भगवान अइसे तो भगवान गणेश के पूजा आदिकाल से होवत आत हे।कोनो भी पूजा, तिहार बार के शुरुआत गणेश के पूजा ले होथय।सनातन अउ हिन्दू रीति रिवाज मा गणेश ला प्रथम पूज्य माने गय हे। गौरी गणेश के पूजा बिन कोनो पूजा ला सफल नइ माने जाय। हमर देश मा […]

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कविता

तीजा तिहार

रद्दा जोहत हे बहिनी मन, हमरो लेवइया आवत होही। मोटरा मा धरके ठेठरी खुरमी, तीजा के रोटी लावत होही।। भाई आही तीजा लेगे बर, पारा भर मा रोटी बाँटबोन। सब ला बताबो आरा पारा, हम तो अब तीजा जाबोन।। घुम-घुम के पारा परोस में, करू भात ला खाबोन। उपास रहिबो पति उमर बर, सुग्घर आसिस […]

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कविता

तीजा पोरा

तीजा पोरा के दिन ह आगे , सबो बहिनी सकलावत हे। भीतरी में खुसर के संगी , ठेठरी खुरमी बनावत हे।। अब्बड़ दिन म मिले हन कहिके, हास हास के गोठियावत हे। संगी साथी सबो झन,  अपन अपन किस्सा सुनावत हे।। भाई बहिनी सबो मिलके , घुमे के प्लान बनावत हे। पिक्चर देखे ला जाबो […]

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गोठ बात

राजागुरु बालकदास : छत्तीसगढ़ गवाही हे

भिंसरहा के बात आय चिरइ चुरगुन मन चोंहचीव चोंहचीव करे लगे रहिन…अँजोरी ह जउनी हाथ म मोखारी अउ लोटा ल धरे डेरी हाथ म चूँदी ल छुवत खजुवावत पउठे पउठा रेंगत जात हे धसर धसर।जाते जात ठोठक गे खड़ा हो के अंदाजथे त देखथे आघू डहर ले एक हाथ म डोल्ची अउ एक हाँथ म […]

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गोठ बात

तीजा – पोरा के तिहार

छत्तीसगढिया सब ले बढ़िया । ये कहावत ह सिरतोन मा सोला आना सहीं हे । इंहा के मनखे मन ह बहुत सीधा साधा अउ सरल विचार के हवे। हमेशा एक दूसर के सहयोग करथे अउ मिलजुल के रहिथे । कुछु भी तिहार बार होय इंहा के मनखे मन मिलजुल के एके संग मनाथे । छत्तीसगढ़ […]

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गोठ बात

धरसींवा के शिव मन्दिर

चरौदा, धरसींवा रायपुर में स्थित शिव मन्दिर के इतिहास के बारे आप अगर गाँव सियान मन ल पूछहू त झटकुन ऊँखर जुबान म पहिली नाम बाबू खाँ के आथे, हाँ ये उही बाबू खाँ आए जब 45 साल पहिली जब पूरा देश आजादी के प्रभात फेरी अऊ जश्न मनाए म डूबे रिहिस त बाबू खाँ […]

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कविता

सुमिरव तोर जवानी ल

पहिली सुमिरव मोर घर के मइयां, माथ नवावव धन धन मोर भुइयां I नदियाँ, नरवा, तरिया ल सुमिरव, मैना के गुरतुर बोली हे I मिश्री कस तोर हँसी ठिठोली ल, महर महर माहकत निक बोली हे I डीह,डोगरी,पहार ल सुमिरव, गावव करमा ददरिया I सुवा,पंथी सन ताल मिलालव, जुर मिर के सबो खरतरिहा I जंगल […]

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गीत

छत्तीसगढ़ी बाल गीत

सपना कहाँ-कहाँ ले आथे सपना। झुलना घलो झुलाथे सपना। छीन म ओ ह पहाड़ चढ़ाथे, नदिया मा तँऊराथे सपना। जंगल -झाड़ी म किंजारथे, परी देस ले जा जाथे सपना। नाता-रिस्ता के घर ले जा के, सब संग भेंट करथे सपना। कभू हँसाथे बात-बात मा, कभू – कभू रोवाथे सपना। कभू ये हर नइ होवै सच, […]