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कविता

सुशील यादव के रचना

सुनव हमर सरकार

पानी पलोय ओतके ,जतका के दरकार
पनछुटहा सब भाग के ,खबर लिही सरकार

रखव जी लीप पोत के ,साथी तीर-तखार
सफई के अभियान में ,माते हे सरकार

हांका जम के पार दो ,सकलाय गोतियार
सुध लेवय न चेत धरय,काबर जी सरकार

ईद-दिवाली सब मनय,अपने – अपन तिहार
महंगाई ‘बम’ झन फुटय,सुनव हमर सरकार

हमर घर ले नहक के जाबे

कइसने मरे-बिहान हे गा
इही कोती दइहान हे गा

खेत-खार तोर सोन उगले
भाग में हमर गठान हे गा

एसो बादर जम के बरसय
फोकट पानी दुकान हे गा

कीचड़-काचड़, लदर- फदर हे
रसता बहुते असान हे गा

महंगाई के का रोवासी
भाजी-भात अथान हे गा

हमर गाव के हवे चिन्हारी
मनखे जियत मशान हे गा

हमर घर ले नहक के जाबे
सुग्घर बने रेंगान हे गा

कुण्डली

कभू रुखनडा पेड़ ले, आमा पाये चार
दू के चटनी बाँट ले ,दू के डार अचार
दू के डार अचार ,समझय कोनो गवइहां
पडत समय के मार ,ढूढे मिलय न छईहाँ
बीती ताहि बिसार ,सुमर तनिक नाम परभू
रखव ‘सुशील’ विचार ,फलत मिलही पेड़ कभू

उल्लाला

नुन्छुर कस मोला लगय , व्यवहार अउ बात-वचन
कस बिताबो पांच बछर , आगी लगे तुहर शरन

लिख लिख ले अरजी घुमन,चालीस-घर, चार-डहर
कोनो तीर कहाँ मिलय,आश्वासन अमरित -जहर

बिहिनिया कुकरा बासत, भूकत हे हजार कुकुर
कान रुइ गोजाय तुंहर ,लालच दिखय लुहुर-टुपुर

आम आदमी बस कहव , आमा चुहकते रहिबे
संगी मया – पीरा हमर,कोन भाखा कब कहिबे

तीर के हमर आदमी , मुह लुकौना होवत हे
खेत-किसानी छोड़ के ,बीज अपजस बोवत हे

दोहे

नुन्छुर कस मोला लगय ,बात-बानी व्यवहार
कस बिताबो पांच बछर , असकट में सरकार

लिख-लिख ले अरजी घुमन,काखर-काखर द्वार
कोनो तीर कहाँ मिलय,सुनय हमर गोहार

बिहिनिया ले कुकरा बासत,भूकय कुकुर हजार
कान रुइ गोजाय तुंहर , निभय तुहार- हमार

आम आदमी बस कहव ,आमा चुहके दारि
फिर बाद बेहाल करव,मारे-मार तुतारि

सुख के संगवारी हमर ,काबर रहव लुकाय ,
जउन मिले मिल-बाँट के ,देवी भोग-चढ़ाय

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, चिर्पोटी बंगाला
अमसुर होवत राज तुंहरे ,हमरो देश निकाला

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, राजनीति खपचल्हा
दिन बहुरे काखर हे देरी ,होवय नकटा- ठलहा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, होवय नेता लबरा
सपनावत रहिबे बाँध-बनही ,खनाय रहिथे डबरा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, दोनों हाथ म लाडू
सूट- पेंट पहिरे खातिर अब , दिल्ली मारो झाड़ू

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,सीखो गा बदमाशी
दारु दुकान खोले मिलही ,परमिट बारामासी

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,गुरतुर जेखर बोली
सब्सीडी एसो रंग मिलही ,खेलेबर जी होली

वेलेंटाइन छत्तीसगढ़ी स्टाइल
छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,मनाव वेलेन्टाइन
जरहा बीडी कान खुचैया,तुम्हला का समझाइन

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,बासा होटल चलबो
जलईया मन के छाती मा,मुंग-मसूर दलबो

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, टुटहा जेखर पनही
वेलेंटाइन राग गवइया , लबरा नेता बनही

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,करव टोटका टोना
वेलेंटाइन गाँव म घुसरत ,बचाव कोना कोना

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, हवय दाम दू पइसा
पान खवातेन वेलेन्टाइन,खोजब पाछू भइसा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,सूट बूट ला पहिरो
वेलेंटाइन मनाय खातिर,हमर सेती सम्हरो

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, उतरिस घर में डोला
अनारकली, मुमताज, हीरा ,देवव खिताब तोला

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या, बजा बजा के दफडा
टूरा के हमरो ताका झांकी , वेलेन्टाइन लफडा

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,जीवरा करय कुल-कुल
डिपरा के रहवइया संगी ,खचका जावय ढुल २

छन्न पकैय्या छन्न पकैय्या,टूरा हे खपचल्हा
दाई ददा के बखान सहय,काबर नकटा- ठलहा

सुशील यादव

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