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कविता

देस बर जीबो,देस बर मरबो

देस बर जीबो,देस बर मरबो।
पहिली करम देस बर करबो।।

रहिबो हमन जुर मिल के,
लङबो हमन मुसकिल ले।
भारत भुँइयाँ के सपूत बनबो।
धरती महतारी के पीरा हरबो।।१
देस बर जीबो…………….

जात-धरम के फुलवारी देस,
भाखा-बोली के भन्डारी देस।
सुनता के रंग तिरंगा ले भरबो।
बिकास के नवा नवा रद्दा गढ़बो।।२
देस बर जीबो…………….

ऊँच-नींच के डबरा पाट के,
परे-डरे ल संघरा साँट के।
बैरी के छाती म हमन ह चढ़बो।
दोगला ल देस के दार कस दरबो।।३
देस बर जीबो…………….

किरिया हे अमोल अजादी के,
नवादसी तिरंगिया खादी हे।
अपन माटी के पयलगी परबो।
परान हथेरी देस बर धरबो।।४
देस बर जीबो…………….

अमित सिंगारपुरिया
मोतीबाङ़ी~भाटापारा (छ.ग.)
संपर्क~9200252055