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कविता

आँखी के काजर

भुला डारे मोला
काबर बैरी बनाये
तोर आँखी के काजर
हाथ के कंगन
मोला अबड़ आथे सुरता
तोर गुस्सा
तोर हसना
तोर नखरा
तोर मीठ बोली
सच म गांवली
गाँव मोर सुरता कराथे
बर पीपर के छाँव
तोर अंगना के टूटहा खटिया
डर डर के तोर गली म जाना
छुप छुप के मीठ बोली बोलना
अब सपना होगे तोर संग बैठना
बैरी रहिन तोर पारा के संगवारी सब
अब संगवारी होगीन
जबले तोर गवना होइस हे
मोर पुछैया मन मोला भुलागींन
अब तो तेही ह मोर मया ल मुरेछ देहे
तोर आँखी के काजर
तोर मीठ बोली सुने
बछर बीत गईस
अब बर पीपर के छाँव ह
सुना सुना लागथे
मंदिर ह घलो समसान लागथे

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल”
गांव – कोसीर ,सारंगढ़
जिला – रायगढ़ छत्तीसगढ़