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कविता

अब्बड़ सुग्घर मोर गांव

जिहाँ पड़की परेवना,
सुवा अउ मैना,
बढ़ नीक लगे,
छत्तीसगढ़ी बोली बैना,
कोयली ह तान छेड़े अमरइया के छांव,
अब्बड़ सुग्घर हमर गंवई गांव

जिहाँ नांगर, बईला संग नंगरिहा,
गवाय करमा ददरिया,
आमा अमली के छईहा,
चटनी संग बासी सुहाथे बढ़िया,
पैरी के रुनझुन संवरेगी के पांव,
अब्बड़ सुग्घर हमर गंवई गांव

डोकरी दाई के कहानी,
नरवा नदिया के पानी,
अब्बड़ सुग्घर इहां के जिनगानी,
ठउर ठउर मिलही मितान के मितानी,
कतेक ल मैंहा बतांव,
अब्बड़ सुग्घर हमर गंवई गांव।

– धर्मेन्द्र डहरवाल “मितान”
सोहागपुर जिला बेमेतरा