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व्यंग्य

अस्पताल के गोठ

जादा दिन के घटना नोहय।बस!पाख भर पाछू के बात आय।जेठौनी तिहार मनावत रेहेन।बरदिहा मन दोहा पारत गांव के किसान ल जोहारे म लगे रहय।ए कोती जोहरू भांटो एक खेप जमाय के बाद दुसरइया खेप डोहारे म लगे राहय।भांटो ह घरजिंया दमांद हरे त का होगे फेर जांगरटोर कमइया मनखे हरे।अउ जांगरटोर कमइया मनखे ल हिरू-बिछरू के जहर ह बरोबर असर नइ बतावय त पाव भर दारू ह ओला कतेक निसा बतातिस।भले आंखी ह मिचमिचात रहय फेर चुलुक लागते राहय।मन नी माढिस त फेर दारू लानके पीये बर बइठगे वतकी बेरा ओकर संग मानकू भइया संघरगे।आने कोनो जिनिस होतीस त भले नी पूछतिस फेर निसा पानी के जिनिस म बिकटहा बेवहार देखाय बर परथे।दूसरइया खेप ह घलो भांटो के मन मुताबिक असर नी बताइस त ओहा मानकू भैया ल अपन टिरटिरी गाडी के पाछू म बइठार के हेटरिक मारे बर चल दिस।
दवई होय चाहे दारू घंटा भर के बादे असर बताथे।जाय के बेरा म तो भांटो ह बने होस म गिस फेर आधा रद्दा म गिस ताहने निसा के मारे गाडी ल खेत म पेला दिस।दनाक ले भांटो अउ मानकू भैया गिरिस।भांटो गाडी सुद्धा खेत के मेंड म गिरिस अउ मानकू ह दूसर के खडे धान वाला खेत म जाके गिरिस।धान म गिरिस त ओला थोरको नी लागिस;फेर जोहरू भांटो के मुडी ह मेंड म परिस त ओहा मखना बरोबर फूटगे।मुडी ले तर-तर लहू बोहाय लगिस।एला देखके ओहा सुकुरदुम होगे।अपन पंछा म भांटो के मुडी ल बांधिस अउ तुरते मोर कना फोन मारिस अउ जम्मो हाल ल बताइस।में ह तुरते उंकर घर जाके मंटोरा दीदी ल घटना के बारे म बतायेंव।में ह भांटो ल अस्पताल लेगे बर 108 म फोन लगाहूं केहेंव त दीदी मना कर दिस।किहिस के मंद महुवा पीये हे फोकट के थाना कछेरी हो जही।तुही मन जा के लानव भाई!!




एदे होगे हमर मरना।दारू पीके मजा मारे दूसरा अउ भुगतना भोगे दूसरा।फेर का करबे दीदी के मांग के सेंदूर के सवाल रिहिस।उत्ता धुर्रा उंकर घर के भांचा अउ परोस के चैतू भइया संग भांटो ल लाने बर मौका ए वारदात के ठीहा म पहुंचेन।भांटो ह अचेत परे रहय अउ ओकर जोडीदार मानकू ह कांखत उही मेर बइठे रहय।लटपट भांटो ल लायेन।घंटा भर होवत रहय।घर म रोवारई सुरू होगे।पारा परोस के सियनहा मन किथे-एला असपताल लेगो रे भई।
जम्मो मनखे हां म हां मिला दिन।अब लेगे कोन?सबो झन तय करिन के भांटो के छोटे सारा रतन,दीदी अउ वो टेपरा मुंहू के टुरा घलो जही जे लाने बर गे रिहिस माने में।
गंवई म बरोबर बिकास नी हबरे हवय आज घलो सियनहा मन के आदेस ल माने के मजबूरी हवय।कोन जनी कोन अढहा एला संस्कार कहिदिस ते।लकर-धकर दीदी ह कपडा-ओनहा ल धरिस।ताहने रेमटा भांचा ह घलो संग म जहूं किके पदोइस त वहु ल धरेन।में, रतनू भैया अउ दीदी भांटो ल लेके सरकारी असपताल म पहुंचेन।अबक तबक परची कटवायेन त डाक्टर ओला भरती करिस।ओकर मुडी ल फूटहा अउ मुंहू ल बस्सावत देखके पूछिस-इसका एक्सीडेंट हुआ है क्या?मोर मुंहू खोले के पहिली दीदी बताइस-नीही साहब!तिहार-बार के सेती थोरकुन पीये रिहिस।निसा के मारे खटिया ले गिरगे।उही म माथ ह फूटगे।ओकर गोठ ल सुनके सोंचेंव-जय हो छत्तीसगढ़ के नारी!पति के ऐब दबावत हस,भले खथस रोज मार ,गारी!!
डॉक्टर गिस ताहने एक झन गोइहा टाइप कंपांउंडर आइस अउ मरहम पट्टी करिस।पट्टी बांधे के बाद कथे-हम तुम लोग के बारे में जानता हे।एकर मूड दारू पीके कंहीं पर झपाने से फूटा है।मोला थकौनी पइसा दो।नहीं तो में डॉक्टर को सब फोर के बता दूंगा।ताहने थाना कछेरी होगा।
थाना कछेरी के गोठ ल सुनके दीदी बिचारी डर्रागे अउ ओला तुरते अंचरा ले निकाल के सौ रुपिया दिस ताहने वोहा चल दिस।एती रात के दस बजती आगे राहय।भांटो दू घंटा ले अचेत परे राहय।




डॉक्टर फेर देखे बर आइस।हांथ गोड ल टमरिस ताहने कथे-इसको होस नहीं आ रहा है।रायपुर के बडे असपताल में भरती करना पडेगा।इसको ले जाने की व्यवस्था करो।मैं परची बना देता हूं।- किहिस अउ एकठन कागद म एडेंग-बेडेंग लिख के रेंगते रेंगिस।
एती दीदी के रोवई सुरू होगे।लटपट ओला चुप करवाके गाडी मंगायेन।अउ भांटो ल रयपुर लेगे बर जोरेन।भांचा ल घर भेजवायेन।दीदी,रतन भइया अउ में रयपुर के अस्पताल म हबरेन।
असपताल नोहय ददा!को जनी का हरे ते।बड जनिक बिल्डिंग।गेट में बंदूकधरे सिपाही ल देखके रतन भइया उंहा खुसरे बर डर्रावत रहय।
में ह थोरिक हुसियार बरोबर डॉक्टर के परची ल देखाके खुसरेंव त उंहा फेर परची कटाय बर किहिस।वहू ल कटायेन अउ परची कटइया नोनी के बताय मुताबिक कुरिया म खुसरेन।उंहा पहिलीच के चार झन मनखे मन गोड हांथ ल ओरमा के परे रहय।में सोचेंव नरक म आगेन क ददा!जम्मो मनखे कुहरत राहय।हमन ल देखके कइ झन गुरेरत घलो रहय।जनो-मनो हमन उंकर पलंग ल नंगा लेबो।




अउ थोरिक देर म डॉक्टर अइस ताहने मोर सोचना संही होगे।ओहा एक ठन पलंग ल खाली करवाके भांटो ल सुताय बर किहिस ताहने पहिली के सुते मनखे मन हमन ल बखानत निकलगे।डॉक्टर परची ल देखके हमन ल किहिस-पेसेन्ट के हालत बहुत खराब हे।इसको कल सबेरे खून चढाना पडेगा। ओ पाजेटिव ग्रुप के व्यवस्था कर लेना।अतका बता के वोहा चल दिस।भांटो ल छूइस तको निंही।एती रात भर संसो अउ भुसडी चबई के मारे नींद नइ परिस।बिहाने आंखी अपने अपन मुंदागे त सफई वाला मन हेचकारत उठा के किथे-तुम्हारे ददा का घर है क्या?अराम से गोड लमाके सुते हो।
हमन हडबडा के उठेन अउ खून के बेवस्था करे बर निकल गेन।एक झन मनखे ल पूछेन त ओहा खून मिले के ठीहा ल बताइस।उंंहा गेन त तारा लगे रिहिस।खुलही त खून लेबो किके उही मेर बड देर ले एती ओती किंदरत रेहेन।हमन ल बड देर ले उही मेर खडे देखके वोहा सायद हमर मुस्कुल ल समझ गे रिहिस काते?वो ह हमर तीर आके किथे-तुम लोग को खून चाही न।में दूंगा।बिपत में परे मनखे बर अनजान जघा म एकर ले बडका खुसी के बात का होतिस।हमन तुरते तियार होगेन अउ ओला अस्पताल डहर चल केहेन त ओहा किथे-एकदम देहाती हो क यार!खून को डारेक्ट नी चढाते है।पहिली उसको बोतल में डारा जाता है।डाक्टर आयेगा तब निकालेगा।अच्छा!एक काम करो में बिहनिया ले भुख मरत हंव।पहिली नास्ता-पानी के लिए पैसा दो।में ह तुरते ओकर हांथ म दस के नोट ल धरायेंव।




दस के नोट ल देखके वो मनखे हमर बर बिफरगे।भन्नावत किथे-भिखमंगा समझा है क्या?दस रुपया में बीडी नहीं मिलता है।तुम लोग को नास्ता मिलेगा!!सौ रुपया दो तब आउंगा ।नहीं तो में चला।अलकर में फंसे मनखे ल समे परे म गदहा ल घलो बाप बनाय बर लागथे।ओतका बेर वोहा हमर वइसनेच ददा रिहिसे।
सौ रुपया ल धरके वोहा चल दिस अउ हमन ओकर अगोरा म बइठे ओकर बाट जोहत रेहेन।हमन ल लांघन-भूखन बइठे मंझनिया बितगे।हमन समझगेन कि हमर सौ रूपिया गंवागे।भूख पियास अउ दुख के मारे हमर थोथना उतरगे।तभे एक ठन बिचित्र बात होइस।बिहनिया के जेन मनखे ह खून देबर पैसा लेगे रहय तेन ह आगे अउ किथे-इंहा मेरा सब सेटिंग हे।तुमन मोला दू सौ रूपिया अउ दो।तब में खून के बेवस्था करता हूं।हमन ओकर हांथ म तुरते दू सौ रूपिया देयेन ताहने वो मनखे भीतरी म खुसरगे।थोरिक देर बाद एक झन डाक्टर ह वो मनखे के बांहा ल धरके निकलिस अउ किथे-इसको कौन लेके आया है।खुद मुस्किल से जी रहा है और दूसरे को खून देने चला है।




हमन डर्रागेन।वो मनखे हमर तीर आके किथे-में खून देने के लिए तैयार था।वो लोग नी निकाले तो में क्या करूँ।ओके भाई लोग!!!काहत ओहा हांथ हलावत अछप होगे।हमन मुड ल धरके बइठ गेन।मुंहू ल ओथार के कलेचुप असपताल आगेन।दीदी पूछिस त ओला कहानी ल बता देन। संझौती बेर फेर उही डाक्टर आइस त भांटो ल देखिस अउ बिना चेक करे फेर खून पूछिस।हमन नी लाय हन किके बताएन त ओहा फेर खिसियावत चल दिस।घंटा भर बाद एक झन सिस्टर आके भांटो ल गुलुकोज चढाके रेंग दिस।असपताल के दूसरा रात ल फेर लटपट काटेन।एक दिन पहिली तो खून के चक्कर म भूख मरे रेहेन तेकर सेती पहिली में अउ रतन भैया उही कना के ठेला म पहिली चाय संग डबलरोटी खाके निकलेन।पेट के भूख ह जघा अउ परिस्थिति ल नी जाने।का करबे!!
एक झन मनखे ल खून के बेवस्था बर पूछेन त बताइस कि खून के बदला म खून देय ले खून मिल जही।हमन ओकर बताय मुताबिक जघा म पहुंचगेन अउ उंहा के साहब ल हमन अपन परसानी ल बतायेन त बपुरा ह खून देय बर तियार होगे।अब खून कोन देय!में ह पहिलीच के संडेवा बरोबर दिखथंव त डॉक्टर साहब ह रतन भइया ल खून देय बर खंधोइस।बिचारा मानगे।ओहा खून देइस ताहने बदला म हमन ल भांटो के गुरूप वाला खून मिलगे।कोनो कबड्डी जितइया दल बरोबर हमन खून ल लेके असपताल पहुंच गेन।दीदी के जी म जी अइस।अब डाक्टर के अगोरा रिहिस।असकट लागिस त में ह असपताल के आने कुरिया म घूमे बर खुसरगेंव।एक ठन कुरिया म देखेंव एक झन मनखे ह बिकट किकियावत रहय।ओकर हांथ म एक झन सिस्टर ह मनमाने सूजी ऊपर सूजी बेधत राहय।वो बिचारा ह पीरा के मारे बियाकुल होवत रहय।में उंकर तीर जाके मेडम ल पूछ परेंव-काबर मनमाने सूजी देवत हव मेडम।ओहा मोर कोती देख के गुसियावत कथे-इसका नस नहीं मिल रहा है।इसको नस में सुई लगाना है।तुम कौन हो?बडा हुसियारी झाड रहे हो।चलो भगो यहाँ से।ओकर रिस ल देखके में ह ओकर ले कलेचुप खसकेंव अउ आने कुरिया म आयेंव त देखथंव एक झन मनखे ह पीरा के मारे कलहरत रहय अउ सिस्टर कस डरेस पहिरे नोनी मन कान म ईयरफोन गोंजके मनमाने मुबाईल म माते रहय।में ह उही मेरन ठाढे एक झन भइया ल पूछेंव-एमन इंहा के नरस मेडम हरे का भइया।त वो बताइस-एमन डाक्टरी पढइया लइका हरे।एमन सीखे बर इंहे आथे।में सोचेंव जिकर आगू म मरीज कलपत हे अउ ओमन मुबाईल म माते हवय त को जनी का सीखत होही।फेर हमला का करे बर हे भइया भांटो बने होइस ते इंहा ले भागे।अइसने बिचारत भांटो मन कना आयेंव त दू घंटा बितत रहय।डॉक्टर साहब के अता-पता नीही।खून के बाटल ल धरे-धरे संझा होगे,डॉक्टर साहब आबे नी करिस।पूछेन त पता चलिस साहब छुट्टी ले हवय।हमन खून के बाटल ल धरे धरे असकटागे रेहेन।अब तो एहा खराप होगे किके कचरा पेटी म फेंक देएन।भांटो ल गुलुकोज के बाटल चढेच रहय।अउ ओहा मनमाने नींद भांजत रहय।एती हमन ल भुगतत तीसर रात होवत रहय।तीन दिन ले इंहा के भुसडी मन सरी लहू ल चुहक डारे रिहिस।दू दिन कहूं अउ रूकबो त हमुमन नी बांचन काते? सोंचत नींद परगे।




बिहनिया बेरा म फेर उही डॉक्टर साहब आइस अउ फेर उही खून लाने के गोठ!मोर हिरदे म का गुजरत रिहिस मिंहीं जानथंव।फेर कुछु नी कहेंव अउ खून के बेवस्था करे बर फेर उही खून मिले के ठीहा म पहुंच गेन अउ उंहा के साहब ल अपन दुख ल बताएन।ओहा हमर भुगतना ल समझिस अउ किहिस कि पांच सो रुपिया जमा कर दव अउ खून ले जावव।तीन दिन ले नरक कस दुख भोगत रेहेन त डर के मारे साहब कना बिनती करेन-हमन खून ल डॉक्टर साहब मंगाही वतकी बेर लेगबो किके अउ नाव लिखाके पइसा जमा करेन अउ असपताल आगेन।दीदी ल जम्मो समाचार ल बतायेन अउ डॉक्टर साहब ल अगोरत रेहेन।बारा बजती बेरा म एक झन दूसर डॉक्टर साहब आके भांटो ल सूजी लगाइस ताहने भांटो उठके बइठगे।डॉक्टर साहब पूछिस कि क्या लग रहा है इसको?ताहने हमन गांव के असपताल ले लेके सरी भुगतना ल बताएन।डॉक्टर साहब बताइस कि मुडी म चोट लगे के सेती थोरिक बेहोसी आगे रिहिसे।अब बने हे।एला खून चढाय के कोनो जुरूरत नीहे।एला घर ले जा सकत हव।अब दीदी के खुसी के का पूछना ओहा घेरी-बेरी डॉक्टर के पांव परत रहय।में ह तुरते खून मिले के ठीहा म जाके ओला स्थिति बतायेंव त ओहा सौ रुपया काटके बांकि पइसा ल वापिस कर दिस।तुरते में ह असपताल लहुटेंव अउ भांटो के छुट्टी कराके घर लहुटे बर बस म बइठ गेन।बस म बइठेन त भांटो ह मोला धीरलगहा कथे-छिमा करबे जी सारा!मोला तो असपताल म भरती होय के दूसर बिहनिया होस आगे रिहिसे।आंखी खोलके देखेंव त तोर दीदी ह आघू म बइठे रिहिसे।ओहा बखानही किके फेर कलेचुप मिटका देय रहेंव।तुमन तो संझौती बेरा म आयेव।फेर ओ डॉक्टर ह घलो कामचोर रिहिसे मोला छुवे बिना तुमन ल खून बर हलाकान कर डारिस।भांटो के गोठ ल सुनके ओकर बर अबड रिस लागिस फेर ओकर ओखी म असपताल के हालचाल ल संउहत देखे बर तो मिलिस।
घर आके में ह एके बिनती करथंव-भगवान सबो झन ल सलामत रखय।कोनो ल असपताल के मुंहू देखे बर झन परय।

रीझे यादव
टेंगनाबासा(छुरा)
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