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कविता

बड़का तिहार

परिया परगे धनहा भुईयां,
दुख के बादर नई भागय रे भैय्या I
काय तिहार अऊ काला जोहर,
पेरावत हाबन सालों साल I

ऐसो के किसानी जीव के काल,
परगे संगी जब्बर अकाल I
नांगर ओलहा के टूटगे फेर,
काय तिहार अऊ काला जोहर I

का संझा का बिहनिया,
ताकते रहिथन मंझनिया,
सुन ले गोठ ग सियनहा I
नेता बनके ससुरा सियार होगे न,
ऐकरे मनके जुरयई बड़का तिहार होगे न I

तीजा पोरा अऊ दसेरा देवारी,
जुरियावन सबो खैईरका दुवारी
खेलन होरी मा रंग गुलाबी I
अईसन कतिहा बोनस तिहार होथे न,
नेता मनके जुरयई बड़का तिहार होगे न I

खनती कोड़ईया संगी साथी,
बटकी म बासी, बन म काशी I
बंभरी फुल के खिनवा सोनहा,
जीवरा जुड़ावय देखन बिहनहा I

परब परब नई लागय मितान,
मेला मड़ई होगे सबो सियान I
चुनई लख्टीयाथे त जीव के जंजाल होथे न,
नेता मनके जुरयई बड़का तिहार होथे न I

विजेंद्र वर्मा अनजान
नगरगाँव (जिला-रायपुर)
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