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गोठ बात

बालदिवस : मया करइया कका नेहरु

हमर देस मा गजबेच अकन महापुरुष मन जनम धरीन ।जौन देस धरम बर अपन तन ल निछावर करीन।अइसने एक महापुरुष हमर देस के पहिली परधानमंतरी पं. जवाहरलाल नेहरु हरय।जौन लइका मन ल गजबेच मया दुलार करय।एकरे सेती लइकामन ओला नेहरु कका (चाचा नेहरु) काहय। लइका मन संग मया के किस्सा उंखर लिखे किताब मा घलाव मिलथे।एक बेरा के गोठ आय जब नेहरु जी केरल के एक गांव कार्यकरम मा जात रीहिस तब सड़क अउ तीर तखार के घर के भांड़ी मा खड़े होके मनखे, लाइका, सियान, चेलिक, माईलोगिन मन परधानमंतरी ल देखेबर ओरी ओर खड़े रहाय।उही जगा थोरिक दुरिहा मा एकझन 10-12 बच्छर के टूरा गैस फुग्गा बेचत खड़े रहय। जब नेहरु जी के गाड़ी रुकीस तब वहू हर अपन गोड़ मा उठ-उठ के ओला देखेबर गजबेच उदीम करत रहय।ओकर हाथ मा रंग बिरंग के गैस फुग्गा राहय जौन ओकर हलाइ डोलाइ मा एती ओती होवय। नेहरु जी के नजर ओकर उपर पड़गे।गाड़ी ले उतरके नेहरु जी फुग्गा वाले करा चल दीस अऊ अपन सचिव के संग जम्मो फुग्गा ल बिसा लीस पाछू तीर तखार मा जतका छोटकी छोटका लइका रहीन सबो ल फुग्गा ल बांट दीन।सब्बो लाइका मन फुग्गा धरके गजबेच खुस होके नाचे कूदे लगीस जोर जोर से नेहरु कका, नेहरु कका कहिके चिल्लाय लगीन।अइसने मया करइया रहीन हमर पहिली परधानमंतरी।




नेहरु जी ह अंगरेजी इस्कूल मा पढ़े रीहिस।फेर ओहा गांव गांव जा के हिन्दी गोठियाय अउ लिखेबर सीखिस। एक घांव कार्यकरम के बीच मा एक लइका नेहरु जी के आटोग्राफ लेयबर आइस अउ कापी देवत सिग्नेचर करेबर कहिस। नेहरु जी अंगरेजी मा सिग्नेचर करके कापी ल फेरदिस।लइका देखीस नेहरु जी अंगरेजी मा दसखत करे हावय, ओहा जानत रीहिस कि हरदम हिन्दी मा दसखत करथे। ओहा पूछिस-आप तो मोर कापी मा अंगरेजी मा आटोग्राफ देहव। नेहरु जी लइका ल पुचकारत कहिस कि तैं तो मोला सिग्नेचर करेबर कहेहस, हस्ताछर करेबर कते तब हिन्दी मा करतेंव। जम्मो मनखे जुवाप ल सुनके हांसे लगीन। लाइका मन संग ठठ्ठा दिल्लगी करइया हमर परधानमंतरी ल एकरे सेती कका नेहरु कहिथे।

अपन पुस्तक मा लिखे हावय कि ओहा अपन ददा के बड़ मान करय अउ डर्राय घलाव।ओकर उमर 5-6 बच्छर के होय रहीस होही। ओकर ददा मोतीलाल नेहरु ओ बखत अंगरेज मन ले देस ल अजाद करे बर उदीम करत रहिस। जवाहरलाल अपन ददा के बड़ सम्मान करय। ओकर ददा भारी घुसेलहा रहय।ओकर परछों घर मा काम करइया मन संग ददा के गोठ बात मा देखे रहय। एक दिन जवाहरलाल अपन ददा के टेबल मा दू ठन फाउंटेन पेन रखाय देखीस, ओकर मन पेन मा मोहा गे। ओला धरेबर सोचिस,कि दू ठन पेन ल ददा काय करही।ओहा एक ठन ल अपन खीसा मा डार लीस।पाछू पेन कहां गवांगे कहिके खाना तलासी सुरु होगे। एती मारे डर के जवाहरलाल के पसीना छूटत रहय। चोरी पकड़ागे अउ जवाहरलाल चोर साबित होगे।ओकर ददा ह घुंसीयाके कान ल अंइठिस अउ दू चार थपरा लगा घलो दिस। पाछू अपन दाई के कोरा मा जाके रोइस अउ अपन करनी बर पछताइस।




नेहरु जी ल पुस्तक पढ़े के अड़बड़ सउंख रहय।एक बेरा जवाहरलाल नेहरु जी अपन संगवारी घर रुकीस। ओकर संगवारी बने आवभगत करीन , थोरिक बेरा होय रहिस कि संगवारी के परोस ले बुलावा आगे। नेहरु जी ल थोरकिन अकेल्ला बइठेबर कहिके संगवारी चल दिस। नेहरु जी पुस्तक पढ़े के सौखिहा तो रहिबेच रहिस। ओहा पुस्तक ल पढ़ेच नहीं ओला संजो के घलो राखय।बेरा बितायबर खोली के एक कोन्हा मा लकड़ी के अलमारी रखाय रहिस ओकर तीर मा जाके उघार के देखीस तब उहां अड़बड़ कन पुस्तक एती ओती फेंकाय परे रहिस।नेहरु जी ल बड़ घुस्सा आइस अउ दुख घलो लागिस फेर ओहा सबो पुस्तक ल तिरया के सोज सजाके राख दीस।जब ओकर संगवारी आइस तब ओला बताइस अउ समझाइस कि पुस्तक के कतका महत्तम होथे तेला समझना चाही। पुस्तक मा लिखइया के आत्मा रथे। पुस्तक के हिनता करना माने लिखइया अउ पढ़इया के हिनता आय। संगवारी ह छिमा मांगिस अउ कसम खाइस आगू अब अइसना नइ होवय।अइसे रीहिस हमर परधानमंतरी नेहरु जी ।

पं.जवाहर लाल नेहरु के जनम 14 नवंबर1889 मा कश्मीरी बाम्हन मोतीलाल नेहरु के घर इलाहाबाद मा होइस। दाई स्वरूपरानी के कोरा मा तीन बहिनी के संग खेलीस।पाछू महात्मा गांधी संग मिलके देस अजाद करायबर लड़ई मा संग होइस।अजादी पाछू देस के पहिली परधानमंतरी बनके देस के बिकास करीन। लइका मन ल जादा मया करय एकरे सेती ओकर जनमदिन ल बालदिवस के रूप मा देसभर मनाय जाथे।

संकलन/अनुवाद
हीरालाल गुरुजी” समय”
छुरा जिला- गरियाबंद
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